धान अधिप्राप्ति की लचर व्यवस्था से वारिसलीगंज लक्ष्य से पीछे
वारिसलीगंज में किसानों को समृद्ध बनाने के लिए सरकार ने कई प्रकार की सब्सिडी की व्यवस्था की है, लेकिन अधिकांश लाभ विचौलियों को मिल रहा है। धान की खरीद धीमी है, जिसके कारण छोटे किसान अपनी फसल जल्दी...
वारिसलीगंज, निज संवाददाता किसानों को समृद्ध बनाने को ले सरकार कई प्रकार की सब्सिडी की व्यवस्था कर रखी है। जिसमें बीज, उर्वरक तथा किसानों द्वारा उत्पादित फसलों का समर्थन मूल्य शामिल है। बावजूद फसल उत्पादों में मिलने वाली सब्सिडी का अधिकांश लाभ किसान की जगह विचौलियों में मिल रहा है। नहरी क्षेत्र होने के कारण वारिसलीगंज प्रखण्ड जिले में धान उत्पादन में अग्रणी रहा है। जिसे सरकार ने पैक्स के माध्यम से समर्थन मूल्य पर खरीदारी की व्यवस्था की है। लेकिन खरीददारी की लचर व्यवस्था के कारण किसानों खासकर छोटे एवं मंझोले किसान अपनी जरूरत पूरी करने को ले जल्दबाजी में जैसे तैसे धान की बिक्री कर दे रहे हैं। जब किसानों का धान तैयार हुआ तब एसएफसी मिलरों से चावल नहीं लेने की बात कह पैक्स धान की खरीद धीमी कर रखा है। प्रखण्ड में धान खरीदारी शुरू हुए डेढ़ माह से अधिक का समय बीत गया है। लेकिन अब तक 31153 क्विंटल धान की खरीदारी हुई है। जबकि 15 फरवरी तक धान खरीदारी की जानी है। जिसके लिए सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य एक लाख 24 हजार क्विंटल धान खरीदारी करनी है। पैक्स अध्यक्ष से मिली जानकारी के अनुसार धान की खरीदारी धीमी रहने का सबसे बड़ा कारण चावल जमा नहीं होना है। प्रखण्ड में धान अधिप्राप्ति की रफ्तार धीमी होने की वजह मिलरों द्वारा पैक्स का तैयार चावल एसएफसी में जमा नहीं होना बताया जाता है। वैसे इस संदर्भ में जिला स्तर पर लगातार बैठके चल रही है। संभव है कि अगले सप्ताह से धान अधिप्राप्ति में तेजी आएगी। उत्तम क्वालिटी का धान नहीं बेच रहे किसान क्षेत्र के अधिकतर पंचायतों के किसान कम पानी में तैयार होने वाले उत्तम क्वालिटी का धान उत्पादन करने लगे हैं। जिसकी उपज मोटे धान की अपेक्षा कम होती है। लेकिन सरकार द्वारा निर्धारित कीमत लगभग समान होता है। ऊपर से नमी के बहाने प्रति किण्टल छह किलो ग्राम धान अधिक लिया जाता है। फलस्वरूप उत्तम क्वालिटी की फसल को किसान सीधे बाजार में 2300 से 2400 रुपये प्रति क्विंटल बिक्री कर रहे हैं।
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