धनकटनी में बाधा : मजदूरों के अभाव में खेत में खराब हो रही धान
नवादा जिले में धान की फसल कटाई में देरी हो रही है क्योंकि मजदूरों की कमी के कारण किसान परेशान हैं। फसल तैयार होने के बावजूद कटाई नहीं हो पा रही है, जिससे फसलें खराब होने की कगार पर हैं। किसानों को इस...
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्र में खेतों में लगी धान की फसल अब खराब होने की कगार पर पहुंचती जा रही है। पलायन के कारण मजदूरों के अभाव में धनकटनी का काम नहीं हो पा रहा है। खेतों में पक कर तैयार धान की फसल की बाली सूखने लगी है। वर्तमान में स्थिति यह है कि धान की फसल में कई प्रकार के कीटों के प्रकोप का खतरा बढ़ता जा रहा है। झुलसा और कजरिया जैसी सामान्य बीमारियों के साथ ही धान के खेतों में गिर जाने आदि की छिटपुट समस्या भी देखने को मिलने लगी है। किसान चाह कर भी धान की कटाई शुरू नहीं कर पा रहे हैं। अपनी फसलों को बर्बाद होता देख उनमें गहरी निराशा घर करती जा रही है। कहने की जरूरत नहीं कि धान की कटाई पूरी तरह से नहीं हो पाने के कारण जिले में धान क्रय का कार्य भी प्रभावित हो रहा है। 15 नवम्बर से धान क्रय का कार्य जिले में शुरू हो चुका है। किसान अभी धान बेच पाने की स्थिति में नहीं हैं। बरसात के सीजन में मजदूरों के जिले में मौजूद रहने के कारण धान रोपाई तो ठीकठाक तरीके से हो जाती है लेकिन कटाई से पूर्व ही छठ की समाप्ति के बाद जिले के अधिकतर मजदूर दूसरे प्रदेश के लिए रवाना हो जाते हैं। इस कारण धान कटाई का काम बुरी तरह से प्रभावित हो कर रह गया है। स्थानीय स्तर पर लगातार मजदूरी नहीं मिल पाने के कारण क्षेत्र के ज्यादातर मजदूर दूसरे प्रदेशों के ईंट-भट्ठों पर दशहरा से लेकर दीपावली और छठ के बीच पलायन कर जाते हैं। मजदूरों के सामने भी पेट पालने की मजबूरी रहती है जिस कारण पलायन उनकी बाध्यता रहती है। अग्रिम वेराइटी के धान की फसल को ज्यादा नुकसान क्षेत्र के अनेक किसानों ने अग्रिम वेराइटी के कम पानी में तैयार होने वाली फसलों की रोपाई की थी। लेकिन अब समय पर कटनी नहीं होने से फसलें खराब होने लगी हैं। सीता नस्ल की फसल से सबसे पहले बाली निकलती है, जो दीपावली के आसपास तैयार होकर कटनी की बाट जोहने लगती है। इस कारण खरीफ की फसल तो खराब होती ही है, रबी की बुआई में भी बिलम्ब हो जाता है। रोग की चपेट में आने का खतरा मंडरा रहा धान की फसल पर समय से अधिक अवधि तक खेतों में धान की फसल लगे रहने से इनमें कीटों, कजरी रोग एवं पौधे के झुलसने के मामले सामने आ सकते हैं। सबसे दिक्कत वाली स्थिति तो यह है कि इन सारी परेशानियों से निजात का एक मात्र उपाय फसल की कटनी ही है। अब किसान करें भी तो क्या करें। सामने कोई विकल्प ही नहीं बच रहा है। हार्वेस्टर से धान की फसल की कटाई का विकल्प है लेकिन अभी खेतों में नमी बने रहने के कारण इसका उपयोग संभव नहीं हो पा रहा है। आने वाले दस दिनों में थोड़ी स्थिति बदल सकती है लेकिन तब तक बड़ी मात्रा में धान की बाली खखरी हो चुकी होगी। यह सीधा-सीधा किसानों का नुकसान होगा। किसानों में है निराशा, हो रहे हैं परेशान किसानों में इस स्थिति को लेकर निराशा है। मजदूर ढुंढने में ही किसानों का ज्यादातर वक्त बीत रहा है। रोह के धनामां निवासी किसान मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि मजदूरों के अभाव ने परेशान कर रखा है। धान की फसल तैयार है और हम इसे काट नहीं पा रहे हैं। खेतों में लगे रहने के कारण धान की फसल बर्बाद हो रही है। कोई विकल्प सामने नहीं दिख रहा है। नरहट के बेरौटा निवासी किसान कृष्णदेव प्रसाद कहते हैं कि धान की फसल बिल्कुल तैयार है। सीता नस्ल जैसी अग्रिम धान की फसल को ज्यादा नुकसान हो रहा है। खरीफ की फसल अब तक खेतों में है, ऐसे में चिंता यह है कि रबी की बुआई में भी देर होती जा रही है। गोविंदपुर स्थित हरनारायणपुर निवासी किसान मुसाफिर यादव कहते हैं कि खेतों की नमी के कारण हार्वेस्टर चलाना संभव नहीं हो पा रहा है। क्षेत्र के मजदूरों का पलायन हो चुका है। खुद से हम धान काट नहीं सकते। यह इतनी दुविधा की घड़ी है कि कुछ समझ ही नहीं आ रहा, क्या करें। पकरीबरावां के हसनगंज निवासी किसान मुश्ताक आलम कहते हैं कि धान कटनी हर साल बड़ी समस्या बन कर सामने आ जाती है। स्थानीय मजदूरों को जिले भर में ही रोजगार नहीं मिलता इस कारण इनकी सेवा के लिए किसानों को हलकान होना पड़ता है। नुकसान तो तय है। ------------------------ वर्जन: ऐसी स्थिति में किसान धान को ऊपर से काट लें और बाद में खूंटी का प्रबंधन कर लें। अभी 28 से 30 डिग्री तक तापमान सामान्य रूप से बन रहा है ऐसे में गेहूं की बुआई के लिए किसान 20 से 25 डिग्री तापमान का इंतजार कर सकते हैं। तब तक धान की कटाई करना भी संभव हो सकता है। -रौशन कुमार, कृषि मौसम वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र, कौआकोल, नवादा
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