जिले के अंगीभूत कॉलेज में पीजी की पढ़ाई की उम्मीद बढ़ी
मगध विश्वविद्यालय की टीम की ओर से जिले के विभिन्न सरकारी कॉलेजों के सतही निरीक्षण के बाद पीजी की पढ़ाई की उम्मीद बढ़ी है। ज्ञातव्य है कि दो हजार के दशक में नवादा के केएलएस कॉलेज में पीजी की पढ़ाई को बंद...
नवादा। निज प्रतिनिधि
मगध विश्वविद्यालय की टीम की ओर से जिले के विभिन्न सरकारी कॉलेजों के सतही निरीक्षण के बाद पीजी की पढ़ाई की उम्मीद बढ़ी है। ज्ञातव्य है कि दो हजार के दशक में नवादा के केएलएस कॉलेज में पीजी की पढ़ाई को बंद करवा दिया गया था। इसके बाद 21 साल के बाद भी दोबारा इस कॉलेज में पीजी की पढ़ाई फिर से शुरू नहीं हो सकी। मगध विश्वविद्यालय की तीन सदस्यीय टीम ने पिछले दिनों शहर के चार अंगीभूत कॉलेजों केएलएस कॉलेज, आरएमडब्लू कॉलेज, टीएस कॉलेज , हिसुआ व एसएन सिन्हा कॉलेज वारिसलीगंज पहुंचकर वहां पठन-पाठन, इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षकों की कमी आदि का आकलन किया था। कॉलेज प्रबंधन के साथ ही आम लोगों की ओर से जिले के अंगीभूत कॉलेज में पीजी की पढ़ाई शुरू करने की जोरदार मांग उठाई गई थी। हालांकि टीम इस पर क्या निर्णय लेगी यह तो आने वाला समय बताएगा। कॉलेजों के निरीक्षण को विश्वविद्यालय की ओर से जिन लोगों को शामिल किया गया था, उनमें कॉलेज इंस्पेक्टर सह कार्यकारी कुल सचिव प्रो.दीपक कुमार, ए एन कॉलेज औरंगाबाद के प्राचाय्र शमशुल इस्लमा, व प्रमोशन प्रभारी मुकेश कुमार शामिल थे।
पीजी की पढ़ाई ठप होने से बच्चे परेशान
जिले में हरेक साल स्नातक के विभिन्न संकायों में करीब दस हजार बच्चे पास करते हैं। इनमें आधे से अधिक बच्चे आगे पीजी की पढ़ाई को चालू रखना चाहते हैं। स्नातक पास करने वालों में छात्र व छात्राएं शामिल होते हैं। पीजी की जिले में पढ़ाई नहीं होने से पांच हजार से अधिक बच्चों को बोधगया या बिहारशरीफ के शिक्षण संस्थान में पीजी में दाखिला कराना पड़ता है। दाखिले के साथ ही इन शहरों में रहने सहने व खाने पीने का खर्च बच्चों व उनके अभिभावकों को वहन करना पड़ता है। गरीब व मध्यम वर्ग के लोग अपने बच्चों को इतनी खर्चीली शिक्षा दो चार माह ही दे पाते हैं। इसके पचास फीसदी बच्चों की पीजी की शिक्षा प्रभावित हो जाती है। जिले में पीजी की पढ़ाई होने से बच्चों को काफी राहत मिलेगी।
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