शिक्षा विभाग के लिए उपलब्धियों भरा रहा यह साल, हजारों को मिला रोजगार
नवादा के जिला शिक्षा विभाग ने 2023 में कई उपलब्धियाँ हासिल कीं। 32 सौ बीपीएससी शिक्षकों की बहाली हुई, 14 कस्तूरबा विद्यालयों को इंटर का दर्जा मिला, और तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा। 821 प्रधान शिक्षकों की...
नवादा, निज प्रतिनिधि बीता साल जिला शिक्षा विभाग के लिए उपलब्धियों से भरा रहा। शिक्षकों की कमी झेल रहे जिले के प्रारंभिक , हाई व इंटर स्कूलों में 32 सौ बीपीएससी शिक्षकों की बहाली हुई। इसके अलावे करीब छह हजार नियोजित शिक्षक विशिष्ट शिक्षक बने। बीते साल में 14 कस्तूरबा बालिका विद्यालयों को इंटर का दर्जा मिला। इसके साथ ही जिले में कई शैक्षणिक विकास के काम हुए। डीपीओ स्थापना मो. तनवीर आलम ने बताया कि साल 2024 में जिला शिक्षा विभाग ने बीपीएससी की दूसरे और तीसरे चरण की शिक्षक बहाली प्रक्रिया पूर्ण की। दूसरे चरण के शिक्षक बहाली में सफल हुए 15 सौ शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया गया, वहीं तीसरे चरण में 17 सौ अभ्यर्थी सफल हुए हैं जिनकी नियुक्ति के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया जारी है। इसके अलावे कक्षा 1 से 5 के स्कूलों में 821 प्रधान शिक्षकों की बहाली हुई। हालांकि इसमें कक्षा 11-12 के लिए अभी रिजल्ट नहीं आया है। जिले में लंबे समय से नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी बनाने की चली आ रही मांग पर भी काम हुआ। जिले में करीब छह हजार नियोजित शिक्षकों के लिए सक्षमता परीक्षा आयोजित की गयी। परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को विशिष्ट शिक्षक का दर्जा दिया गया। अब इन्हें सरकार की सभी सुविधाओं का लाभ मिलेगा। 14 कस्तूरबा में इंटर की पढ़ाई हुई शुरू बीता साल कस्तूरबा बालिका विद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं के लिए भी फायदेमंद साबित हुअ। इससे पहले जिले के 14 कस्तूरबा बालिका विद्यालयों में सिर्फ आठवीं तक की पढ़ाई हो रही है। इन कस्तूरबा बालिका विद्यालयों को अपग्रेड करते हुए इंटर तक की पढ़ाई शुरू की गई। इससे कस्तूरबा विद्यालयों में नामांकित 14 सौ छात्राओं को अब इंटर तक की पढ़ाई के लिए दूसरे स्कूल में नामांकन नहीं लेना पड़ेगा। कस्तूरबा बालिका विद्यालय की बेटियों के लिए आठ प्रखंडों में नए छात्रावास का भी निर्माण कराया गया है। तकनीक का इस्तेमाल स्कूलों में बढ़ा जिले के सरकारी स्कूलोंमें साल 2024 में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा विकसित करने के लिए शिक्षा विभाग ने सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों और बच्चों की हाजिरी के लिए तकनीक का सहारा लिया। शिक्षकों की हाजिरी ई शिक्षा कोष पर बनना शुरू हुआ। इससे स्कूलों में शिक्षकों की नियमित उपस्थिति ठीक हुई। इसके अलावा स्कूलों के निरीक्षण के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की शुरुआत की गई। स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काफी काम हुए। ऐसे स्कूल जहां बच्चे बोरे पर बैठकर पढ़ाई करते थे, वहां बेंच-डेस्क उपलब्ध कराया गया। सरकारी व निजी स्कूलों के बच्चों का अपार कार्ड बनाने की शुरूआत बीते साल में की गई। इसके तहत 3 लाख्र 85 हजार बच्चों का अपार कार्ड जिले में बनाया जाना है। अभी स्कूलों में अपार कार्ड बनाने का काम जारी है। इसके साथ ही इस साल में सरकारी और निजी स्कूलों में नामांकित बच्चों के आधार को विभाग के पोर्टल पर अपलोड करने की शुरुआत हुई। इसके अलावा स्कूलों में दो सौ से अधिक अतिरिक्त वर्ग कक्ष का निर्माण इस साल कराया गया। स्कूल के बाहर के बच्चों का गृहवार सर्वेक्षण कराया गया। जिसमें करीब पांच सौ बच्चे स्कूल से बाहर पाए गए। उनका उम्र सापेक्ष कक्षाओं में दाखिला कराया गया।
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