क्रिकेट के लिए अच्छा मैदान और संसाधन मिले तो नाम करेंगे रौशन
नवादा जिले में क्रिकेट का क्रेज बढ़ रहा है, लेकिन खिलाड़ियों को उचित संसाधनों और सुविधाओं का अभाव झेलना पड़ रहा है। हरिश्चंद्र स्टेडियम में प्रैक्टिस की कमी और प्रशिक्षण की सुविधाएं न होना प्रमुख...

नवादा। राजेश मंझवेकर वर्तमान में क्रिकेट का एक अलग ही क्रेज है। खेल की दुनिया में क्रिकेट खिलाड़ियों का अलग ही जलवा है। कुछ देश-दुनिया में नाम कमा रहे हैं तो कई खिलाड़ी राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। अनेक विकल्प होने के कारण कुछ आईपीएल जैसे आयोजन का हिस्सा भी हैं। क्रिकेट में ग्लैमर और बेशुमार पैसा देखकर बड़ी संख्या में युवा इस ओर आकर्षित हो रहे हैं। जाहिर है नवादा जिला भी इस मामले में पीछे नहीं है। पर संसाधन के अभाव में जिले के खिलाड़ियों की प्रतिभा निखरने से पहले ही दम तोड़ दे रही है। क्रिकेटरों को प्रैक्टिस की भारी जरूरत पड़ती है लेकिन नवादा जिले की स्थिति यह है कि सबसे सहज उपलब्ध हरिश्चंद्र स्टेडियम में सुविधाओं का नितांत अभाव है। जिला क्रिकेट एसोसिएशन बेशक क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए काफी कुछ करने को प्रयासरत है लेकिन काफी हद तक हाथ बंधे रहने के कारण खिलाड़ियों की राह साजगार नहीं हो पा रही है। नवादा के हरिश्चंद्र स्टेडियम से ही अपनी शुरुआत कर आज इशान किसान देश-दुनिया में अपनी गहरी छाप छोड़ चुके हैं जबकि जिले के दीपक कुमार यादव इन दिनों खूब रंग जमा रहे हैं। दीपक बिहार टीम के जोनल कप्तान रह चुके हैं जबकि हेमन ट्रॉफी व वीनू मांकड़ ट्रॉफी समेत लिस्ट ए टूर्नामेंट खेल चुके हैं। सिर्फ जिला क्रिकेट एसोसिएशन के प्रयास से इस वर्ष सात-आठ बच्चे स्टेट रिप्रेजेंट कर चुके हैं, जिनमें ईशु कुमार, अनुराग कुमार, सुमन सौरभ, प्रिया कुमारी, मुस्कान वर्मा, आशुतोष कुमार, प्रमोद यादव आदि शामिल हैं। पूर्व में बेहतरीन स्टेट लेवल खिलाड़ी रह चुके लेकिन बड़े अवसर से चूक गए मनीष आनन्द वर्तमान में जिला क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव के रूप में खिलाड़ियों के हमदर्द हैं। जो उन्हें नहीं मिल सका, उसकी भी भरपाई करने के लिए वह सदैव खिलाड़ियों के साथ खड़े रहते हैं लेकिन यह सब कुछ वह अपनी गुंजाइश भर ही कर पा रहे हैं। नतीजतन जिले के क्रिकेट खिलाड़ियों को अभावों का दंश झेलना ही पड़ता है। एसोसिएशन लड़ रहा खिलाडियों की लड़ाई कहने की जरूरत नहीं कि नवादा जिले में जो थोड़ा-बहुत क्रिकेट जिंदा है, उसका सारा श्रेय जिला क्रिकेट एसोसिएशन को जाता है लेकिन संस्था की अपनी सीमाएं हैं। इस कारण अभावों से जूझ रहे खिलाड़ी निराशाजनक अंदाज में कहते हैं कि जिले के क्रिकेटरों की दुर्दशा के लिए सरकार और जिला प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेवार है। लेकिन निराशाजनक यह भी है कि जिला क्रिकेट एसोसिएशन चाह कर भी खिलाड़ियों की सारी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है। डीसीए के मनीष आनन्द कहते हैं कि सब कुछ अपने स्तर से करना पड़ रहा है। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन से फंडिंग अभी नहीं हो पा रही है, इसलिए अर्थाभाव झेलने की नौबत बनी रहती है। हालांकि इसके बावजूद खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए बॉलिंग मशीन मंगवाई गयी है। खेल मैदान की बेहतरी के लिए दो रोलर और दो ग्रास कटर मंगवाए गए हैं। इसी प्रकार, एसोसिएशन खिलाडियों की लड़ाई लड़ पा रहा है। साधन का जुगाड़ कर भी रहा है। लेकिन अनेक बाध्यताएं आड़े आ ही रही हैं। सबसे पहले लीग या किसी अन्य टूर्नामेंट के लिए मैदान के चयन की ही समस्या आन पड़ती है। हरिश्चंद्र स्टेडियम की बुरी स्थिति के बीच बस कामचलाऊ व्यवस्था ही खिलाड़ियों को मिल पाती है जबकि हालिया दिनों में सिरदला के लौंद में एक ग्राउंड जरूर तैयार कराया गया, जिससे थोड़ी राहत मिली है। जिले में खिलाड़ियो की सबसे बड़ी समस्या यह है कि कोई ढंग का प्रायोजक नहीं मिल पाता है। एसोसिएशन में रहकर कुछ पूर्व खिलाड़ी अपना बेस्ट दे रहे हैं और बस इसी बूते खिलाड़ी परिश्रम कर आगे बढ़ रहे हैं। पूर्व खिलाड़ियों के अनुभवों का लाभ ले कर वर्तमान में खिलाड़ी लीग तक पहुंच भी पा रहे हैं। लेकिन जिस गति की दरकार खिलाड़ियों को है, वह मिलना अब भी प्रतीक्षित है। अकादमी चला रहे हैं। दूसरी ओर, कुछ निजी क्रिकेट मैदान स्कूल और कॉलेजों के हैं, जिसका लाभ सभी के लिए उपलब्ध नहीं है। खेलने का है जुनून पर खलता है प्रशिक्षण का अभाव नवादा जिले में खिलाड़ियों के अंदर जुनून भरा पड़ा है। इसी का परिणाम है कि खिलाड़ी न सिर्फ जिला स्तर बल्कि राज्य और राष्ट्रीय पर भी झंडे गाड़ रहे हैं लेकिन खिलाड़ी खुद को तराशने में तमाम संकटों का सामना करने को बाध्य हैं। विभिन्न खेल संसाधनों तथा प्रशिक्षण का अभाव प्रतिभाओं को कुंठित कर रही है। खेल प्रतिभाओं को निखरने में आने वाली बाधाओं पर जिले के क्रिकेट खिलाड़ियों ने अपनी व्यथा कुछ इस रूप में कही। नवादा जिले में आरम्भ से ही खेल की संस्कृति रही है। यहां के खिलाड़ी क्रिकेट ही नहीं वरन तमाम खेलों में गहरी रुचि रखते हैं। खिलाड़ियों का प्रदर्शन शानदार भी रहा है। वर्तमान में शहर व आसपास के प्रखंड क्षेत्रों के मिला कर लगभग एक सौ से अधिक क्रिकेट के खिलाड़ी होंगे, जो खुद को तराश रहे हैं। कुछ साधन सम्पन्न क्रिकेट खिलाड़ी जिले और राज्य से बाहर जा कर बड़ी क्रिकेट अकादमी में प्रशिक्षण पा रहे हैं लेकिन जिले के सभी खिलाड़ियों के सामने यह विकल्प उपलब्ध नहीं है। लिहाजा, जिले में ही उपलब्ध सीमित संसाधनों के बीच काफी संख्या में बच्चे व युवा अपना भविष्य तराशने में जुटे हैं। हालांकि बातचीत के क्रम में यह बात भी खुल कर स्पष्ट हो जाती है कि सभी को इस बात का मलाल है कि खेलने के लिए उचित सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। शहर के हरिश्चंद्र स्टेडियम में पहुंची आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान की टीम के साथ खिलाड़ियों ने चर्चा के दौरान अपनी कई समस्याएं गिनायीं। ज्यादातर की शिकायत थी कि जिले के मैदान खिलाड़ियों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। सरकारी तौर पर प्रशिक्षण की कोई सुविधा नहीं है। गरीब खिलाड़ी में प्रतिभा व क्षमता है, लेकिन राशि के अभाव में उसका भविष्य नहीं संवर पा रहा है। सरकार व जिला प्रशासन को इसको लेकर उचित पहल करनी चाहिए। जिससे मुफ्त प्रशिक्षण व संसाधन मिले और इनका भविष्य संवर सके। खिलाड़ियों के अनुकूल हों मैदान व संसाधन खेलों के साथ ही खिलाड़ियों के लिए अनुकूल खेल मैदान की जरूरत सभी ने बताई। खिलाड़ियों ने कहा कि जिला मुख्यालय में हरिश्चंद्र स्टेडियम के अलावा हालिया दिनों में सिरदला के लौंद में क्रिकेट का खेल मैदान विकसित किया गया है लेकिन सिर्फ मैदान ही काफी नहीं कहा जा सकता। प्रशिक्षण की अनेक बाधाएं हैं, उसे दूर करना जरूरी है। हरिश्चंद्र स्टेडियम के बुरे हाल पर निराशा जताते हुए नवादा शहर के राजेन्द्र नगर निवासी क्रिकेट प्रशिक्षक सुमन सौरभ कहते हैं कि खेल का मैदान ऐसा है कि प्रशिक्षण करने के दौरान जख्मी होने का डर बना रहता है। मैदान में जगह-जगह गड्ढे हैं। गर्मी के दिनों में यहां धूल उड़ती है। इससे प्रशिक्षण में काफी समस्या आती है। वह कहते हैं कि पूर्ववर्ती डीएम प्रशांत कुमार सीएच ने टर्फ विकेट का वादा किया था लेकिन मामला ठंडे बस्ते में ही रह गया। उन्होंने इस बात पर घोर निराशा जताई कि प्रशासनिक स्तर पर कोई मदद नहीं मिल पाना खिलाड़ियों का दुर्भाग्य है। जिला क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव मनीष आनन्द ने भी कुछ ऐसी ही बातें कहीं और बताया कि निजी संसाधनों से खिलाड़ियों को तराशने का प्रयास जारी है। सीमित संसाधनों में भी खिलाड़ी बेहतर कर रहे, बस इसी ऊर्जा के बूते जिला राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान पा रहा है। खिलाड़ियों समेत खेल प्रशिक्षक और एसोसिएशन के अधिकारियों ने हताशा के साथ कहा कि सरकार, प्रशासन के अलावा स्थानीय प्रायोजकों की कमी के कारण भी हताशा है। किसी भी खेल मैदान में शौचालय आदि की उचित व्यवस्था नहीं है। महिला खिलाड़ियों के लिए कॉमन रूम नहीं हैं, जहां वे कपड़े बदल सकें। महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा को लेकर भी कोई पहल नहीं है। --------------------- करोड़ों खर्च फिर भी बदहाली का दंश झेल रहा स्टेडियम नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। सन् 1973 को नवादा जिला स्थापना के कुछ माह बाद ही तत्कालीन प्रथम सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस एसएन लाल गुप्ता ने हरिश्चंद्र स्टेडियम का उद्घाटन किया था, लेकिन करोड़ों खर्च के बाद भी साढ़े चार दशक से यह बदहाली का दंश झेल रहा है। हालांकि बीच-बीच में जीर्णोद्धार किया गया है। जिला शहरीकरण योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2010-11 में फुटपाथ सह नाली, समेकित कार्य योजना के तहत 2013-14 में पवेलियन व गैलरी और 2015-16 में जिमखाना का निर्माण करवाया गया। मुख्यमंत्री खेल विकास योजना के तहत स्टेडियम में खेल भवन सह व्यायामशाला के निर्माण में 6.61 करोड़ की राशि खर्च कर दी गई। खेलो इंडिया के तहत जिले को 08 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलने थे जबकि यहां आधुनिक व्यायामशाला भी बनना था। इसके साथ ही डूडा से डेढ़ करोड़ की योजना से चहादीवारी आदि का निर्माण कराया जाना था। लेकिन आज भी खिलाड़ियों का भला हो पाना दूर की कौड़ी बना पड़ा है। खिलाड़ी अपनी मांग लगातार उठा रहे लेकिन उनका भला नहीं ही हो पा रहा। आज भी सभी खिलाड़ी अपने बूते ही अपनी मंजिल तय करने को मजबूर हैं। --------------------------- खेलों में सुधार के कुछ सुझाव : 1. जिले में क्रिकेट के प्रशिक्षण के लिए हों राज्य व देश स्तर के प्रशिक्षक। 2. जिले के क्रिकेट मैदान बनाए जाएं खिलाड़ियों के लिए उपयोगी। 3. क्रिकेटरों की प्रैक्टिस के लिए उपलब्ध कराए जाएं जरूरी संसाधन। 3. क्रिकेट मैदानों में हों शौचालय की उचित व्यवस्था। विशेषत: महिला खिलाड़ियों के लिए। 4. क्रिकेट मैदानों में महिला खिलाड़ियों के लिए बनाए जाएं कॉमन रूम। 5. महिला और पुरुष खिलाड़ियों के लिए विशेष रूप से हों अलग-अलग क्रिकेट ग्राउंड। 6. क्रिकेट को सरकार और प्रशासनिक स्तर पर प्रोत्साहित करने की हो व्यवस्था। -------------------- खिलाड़ियों की व्यथा : खेल का मैदान तक बेहतर नहीं है। ऐसे में बेहतर परिणाम की अपेक्षा बेमानी है। निजी स्तर पर प्रयास कर उत्कृष्ट परिणाम देना बस खिलाड़ियों की जीजिविषा पर निर्भर है। क्रिकेट के लिए टर्फ विकेट का वादा जिला प्रशासन के स्तर पर पूरा हो, यही उम्मीद है। यह ध्यान रहे कि प्रतीक्षा लम्बी न हो जाए। -दीपक कुमार, स्टेट अंडर-23 मेन्स क्रिकेटर, नवादा। क्रिकेट का विकास होना जरूरी है और इसके लिए फूलप्रूफ योजना होनी चाहिए। क्रिकेट का मैदान दुरुस्त हो। संसाधन की कमियां न हो। प्रशिक्षण की जरूरत सबसे अहम है, इसकी अनदेखी न हो। कब तक अपने संसाधनों से खिलाड़ी खेल को जारी रख पाएंगे। सभी सक्षम पक्षों द्वारा कुछ तो पहल होनी चाहिए। -मुस्कान वर्मा, स्टेट अंडर-19 वीमेन्स क्रिकेटर, नवादा। --------------------- अधिकारियों की निराशा: शहर में प्रशासनिक स्तर पर एक बड़ा क्रिकेट मैदान पूरी सुविधाओं से युक्त होना ही चाहिए। हरिश्चंद्र स्टेडियम को इस तरीके से विकसित करना संभव है। अच्छे ट्रेनर और खेल सामग्री का अभाव कभी बाधा न बने, इसकी व्यवस्था करनी होगी। खिलाड़ियों की मदद को बना जिला क्रिकेट एसोसएिशन भी तब ही बेहतर कर सकेगा। -राजेश कुमार मुरारी, अध्यक्ष, जिला क्रिकेट एसोसिएशन, नवादा। क्रिकेट के लिए टर्फ पिच व संसाधन का इंतजाम बेहद जरूरी है ताकि नवादा जिले के खिलाड़ी भी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर सकें। जिला क्रिकेट एसोसिएशन ने अपने बूते सिरदला के लौंद में ऐसे पिच का इंतजाम किया है। इस कारण जिले में क्रिकेट को कुछ प्रतिष्ठा मिल पा रही है। लेकिन इसे बड़े पैमाने पर करना जरूरी है। -मनीष आनन्द, सचिव, जिला क्रिकेट एसोसिएशन, नवादा।
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