मौसम का बदला मिजाज, सप्ताहभर में 4-5 डिग्री तक चढ़ा अधिकतम तापमान
नवादा जिले में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में अप्रत्याशित बदलाव हो रहे हैं। फरवरी में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अधिक गर्मी का असर...

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। बिहार प्रदेश की जलवायु मुख्यतः मानसूनी है, जिसका असर नवादा जिले में भी साफ-साफ दिखता है। मानसूनी जलवायु के कारण गर्मी, सर्दी और वर्षा ऋतु का स्पष्ट विभाजन नवादा जिले में देख जाता है। हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण इन ऋतुओं में अप्रत्याशित बदलाव हो रहे हैं। जिसका कुप्रभाव नवादा जिले में हालिया दिनों में लोगों को झेलने की नौबत बनी रही है। वर्तमान में ऐसे ही मौसम के कारण आम जन-जीवन काफी अस्त-व्यस्त हो कर रह गया है। फरवरी माह में तापमान असामान्य रूप से 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो कि अविश्वसनीय स्थिति रही। पूरे फरवरी माह में अधिकतम तापमान औसतन 2-3 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा और लोग ठंड का अहसास काफी पहले से ही विसार गए। फरवरी माह के गर्म तेवर के बाद अब मार्च महीने का मिजाज भी अपने कुछ ऐसे ही रंग दिखा रहा है। गर्मी की अधिकता से अभी से ही भारी परेशानी का अहसास होने लगा है। लोग रातों में भी पंखा चला कर सोने लगे हैं। हालांकि चादर भी शरीर पर रख रहे हैं लेकिन दिन में तो पंखा चलाना एकदम जरूरी हो कर रह गया है। मौसम की अद्यतन जानकारी देते हुए कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार ने बताया कि पिछले 24 घंटे के दौरान जिले का मौसम प्रदेश के मौसम की तरह ही शुष्क बना रहा। इसी प्रकार अधिकतम तापमान सामान से एक से तीन डिग्री अधिक बना रहा। उपग्रहीय तस्वीरों और मॉडलीय जानकारी के अनुसार, अगले दो से तीन दिनों में हवा की गति 10 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे तथा झोंके के साथ 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पश्चिमी रूख के साथ बनी रहेगी। जाहिर है यह शुष्कता बढ़ाएगी और गर्मी में वृद्धि का कारण बनेगी। अगले 24 घंटे के दौरान राज्य की अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान में कोई विशेष परिवर्तन होने की संभावना नहीं जतायी गयी है लेकिन अगले 48 घंटे में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट होने का पूर्वानुमान जताया गया है। फसलों पर पड़ेगा गर्मी की अधिकता का असर गर्मी में तेजी से हो रही वृद्धि के कारण फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना बलवती होती जा रही है। कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार ने बताया कि गेहूं, दलहन और सब्जियों की फसलें अभी पूर्ण रूप से तैयार नहीं हुई हैं। यदि यही स्थिति बनी रही, तो फसलों की उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। दैनिक मौसम विश्लेषण करते हुए उन्होंने बताया कि अधिकतम तापमान 30.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है जबकि विगत 06 फरवरी को सबसे कम 23.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। बीते 19 फरवरी के बाद से अधिकतम तापमान लगातार 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना रहा है। 28 फरवरी को 13.6 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। अधिक गर्मी पड़ी तो आम की मिठास हो सकती है प्रभावित वर्तमान जलवायु में हो रहे बदलावों का आम की खेती पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। असामान्य तापमान वृद्धि और मानसूनी अनिश्चितता आम की फसल के उत्पादन, गुणवत्ता और आर्थिक लाभ पर प्रतिकूल असर डाल सकते हैं। कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार ने बताया कि दिन का तापमान 30°डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने से आम के मंजर (फूल) आ तो बेहतर रहे हैं, पर उनकी गुणवत्ता प्रभावित होगी। अत्यधिक गर्मी से फूल झड़ने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे उत्पादन कम हो सकता है। बढ़े हुए तापमान और कम आर्द्रता के कारण आम के फल छेदक कीट और पाउडरी मिल्ड्यू जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है। समय से पहले गर्मी बढ़ने से हॉपर्स की संख्या में वृद्धि हो सकती है, जो आम के फूलों को नुकसान पहुंचाते हैं। असमान तापमान और जलवायु परिवर्तन के कारण आम के फलों का आकार छोटा रह सकता है और उनकी मिठास प्रभावित हो सकती है।
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