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वर्षों से खुले आसमान के नीचे हो रही ज्वालानाथ की पूजा-अर्चना

हिसुआ के ज्वालानाथ मंदिर में भगवान भोले नाथ का शिवलिंग खुले आसमान के नीचे विराजमान है। यह मंदिर लगभग दो सौ वर्ष पुराना है और यहां हर दिन सैकड़ों लोग पूजा करने आते हैं। मंदिर का इतिहास और चोरों द्वारा...

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाSat, 22 Feb 2025 03:31 PM
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वर्षों से खुले आसमान के नीचे हो रही ज्वालानाथ की पूजा-अर्चना

हिसुआ, संसू। जिले के हिसुआ में एक ऐसा शिवाला है, जहां खुले आसमान के नीचे विराजमान है भगवान भोले नाथ का शिवलिंग। लोग इस प्राचीन मंदिर को ज्वालानाथ के नाम से जानते हैं। मंदिर की ख्याति काफी दूर तक है। नित्य दिन सैकड़ों लोग बाबा ज्वालानाथ की पूजा कर उनसे आशीर्वाद लेने आते हैं। मंदिर का इतिहास लगभग दो सौ वर्ष पुराना है। टीएस कॉलेज के प्रोफेसर डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि मंदिर काफी ऐतिहासिक है। पूर्व में यह अतिप्राचीन शिवलिंग कॉलेज के दक्षिणी छोर स्थित मंदिर में स्थापित था। जिसे अज्ञात चोरों द्वारा चोरी कर ले जाने का कुंठित प्रयास किया गया था, लेकिन चोर बाबा ज्वालानाथ की महिमा को नहीं जान सके। डॉ अंजनी ने बताया कि चोर मंदिर से शिवलिंग को उखाड़कर जब लेकर जाने लगे तो वे शिवलिंग को अपने कांधे पर रखकर मंदिर के समीप ही घूमते रह गए। सुबह होने पर पकड़े जाने के डर से शिवलिंग को मंदिर से कुछ ही मीटर की दूरी पर उत्तरी दिशा में छोड़ कर भाग खड़े हो गए। मंदिर प्रबंधकारिणी के सदस्य सत्य सिंधु शरण और पवन गुप्ता ने कहा कि तबसे यह शिवलिंग चोरों द्वारा छोड़े गए स्थान पर हीं खुले में विराजमान है। ज्वालानाथ के आशीर्वाद से जमींदार को पुत्र रत्न की हुई थी प्राप्ति मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए टीएस कॉलेज के मीडिया विभाग के प्रभारी मुकेश कुमार ने बताया कि हिसुआ के जमींदार को कोई वंश नहीं था। जिससे वे काफी दुखी रहा करते थे। एक दिन ज्वालानाथ मंदिर के समीप जमींदार पहुना जी उनसे आशीर्वाद लेने आए। तभी उनके उदास चेहरे को देखकर मंदिर के पुजारी रहे सरयू दास ने उनकी उदासी कारण पुछा और उन्हें बाबा ज्वालानाथ का ध्यान करने को कहा। जमींदार द्वारा ऐसा किए जाने के पश्चात कुछ ही महीने बाद उनकी पत्नी गर्भवती हुई और उनके घर एक पुत्री ने जन्म लिया। ज्वालानाथ को खुले आसमान के नीचे ही रहना है पसंद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के सदस्यों ने बताया कि जिस जगह शिवलिंग मौजूद है। वहां मंदिर निर्माण को लेकर काफी प्रयास किया गया। लेकिन उनकी महिमा ऐसी है कि वे खुले में ही रहना पसंद करते हैं। मंदिर निर्माण कराने वालों को मंदिर नहीं बनाने का सपना आ जाता है। जिसके कारण आजतक वहां मंदिर का निर्माण नहीं कराया जा सका है। जहां आज भी खुले आसमान के नीचे बाबा ज्वालानाथ का शिवलिंग स्थापित है और नित्य दिन श्रद्धालु वहां पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेते हैं।

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