Hindi NewsBihar NewsNawada NewsAchala Saptami Celebrations Significance of Surya Dev Worship on February 4

अचला सप्तमी आज, सूर्य जयंती के रूप में होगा पूजन

अचला सप्तमी का पूजन 04 फरवरी को होगा। इस दिन सूर्य देव का जन्म दिवस माना जाता है। सूर्य की पूजा से स्मरण शक्ति बढ़ती है और मानसिक चेतना मिलती है। स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 05:17 बजे से शुरू होगा।...

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाTue, 4 Feb 2025 02:17 PM
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अचला सप्तमी आज, सूर्य जयंती के रूप में होगा पूजन

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। अचला सप्तमी का पूजन मंगलवार को होगा। मान्यता है कि माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन सूर्य देव ने ब्रह्मांड को अपने दिव्य तेज से प्रकाशमान किया था अर्थात इसे भगवान सूर्य का जन्म दिवस भी माना जाता था। इसलिए इस दिन को सूर्य जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी की तिथि को रथ सप्तमी, अचला या माघ सप्तमी (माघे साते) या सूर्य सप्तमी भी कहा जाता है। 04 फरवरी मंगलवार को पड़ रही अचला सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। विष्णु पुराण के अनुसार, सूर्य देव के रथ में लगे सात घोड़े के नाम गायत्री, वृहति, उष्णिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुप और पंक्ति हैं। हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में सूर्य को देवता व नवग्रहों के राजा की उपाधि दी गई है। संसार में सूर्य के बिना जीवन के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती है, इसलिए सूर्य को जगत पिता कहा गया है। मान्यता है कि रोजाना सूर्य को जल चढ़ाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और मानसिक चेतना मिलती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार रथ सप्तमी पर सूर्य भगवान की पूजा और दान करने से जाने-अनजाने किए गए पापों से छुटकारा मिल जाता है और सूर्य से संबंधित सभी दोषों का प्रभाव कम होता है। स्नान-दान का शुभ मुहूर्त माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि का प्रारम्भ 04 फरवरी मंगलवार की सुबह होगी। कर्मकांडी विप्र पंडित ललित किशोर शर्मा ने बताया कि सुबह 07:16 बजे सप्तमी तिथि का समय शुरू हो जाएगा और 05 फरवरी को सुबह 04:54 बजे इस तिथि का समापन हो जाएगा। इस अनुसार सप्तमी तिथि का क्षय हो गया है। अचला सप्तमी के दिन 04 फरवरी की सुबह 6:32 बजे अरुणोदय होगा। अचला सप्तमी का स्नान मुहूर्त मंगलवार को सुबह 05 बजकर 17 मिनट पर आरंभ हो जाएगा। इस समय से स्नान करके सूर्य देव को जल अर्पित करना बेहद पुण्यदायी है। सूर्य सप्तमी पूजा विधि का रखें ध्यान सूर्य देव को नियमित जल चढ़ाने और उनकी उपासना करने से मनुष्य के अंदर आत्म विश्वास, आरोग्य, सम्मान और तीव्र स्मरण शक्ति की प्राप्ति होती है। रथ सप्तमी पर सूर्य देव के पूजन की विधि थोड़ी अलग है। पंडित ललित किशोर शर्मा ने बताया कि सूर्य सप्तमी पर व्रत का संकल्प ले कर सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य दान देना चाहिए। इस दिन पवित्र नदी, सरोवर या घर पर स्नान के बाद एक कलश में जल लेकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके धीरे-धीरे सूर्य देव को जल चढ़ाने और सूर्य मंत्र ऊँ घृणि सूर्याय नमः का जाप करना फलदायी रहता है। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद घी का दीपक जलाने के साथ ही कपूर, धूप जलाकर सूर्य देव की आरती करनी चाहिए व उन्हें लाल पुष्प चढ़ानी चाहिए। इस दिन आदित्य हृदय श्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए। इसके प्रभाव से आरोग्य की प्राप्ति होती है। सूर्य ग्रहण की तरह सूर्य सप्तमी के दिन भी दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है, इसलिए इस दिन सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए। राशि के अनुसार सूर्य का आह्वान है प्रभावकारी : राशि आह्वान मंत्र मेष ऊँ आदित्याय नमः बृषभ ऊँ अरुणाय नमः मिथुन ऊँ आदिभुताय नमः कर्क ऊँ वसुप्रदाय नमः सिंह ऊँ भानवे नमः कन्या ऊँ शांताय नमः तुला ऊँ इन्द्राय नमः वृश्चिक ऊँ आदित्याय नमः धनु ऊँ शर्वाय नमः मकर ऊँ सहस्त्र किरणाय नमः कुम्भ ऊँ ब्राह्मणे दिवाकर नमः मीन ऊँ जयिने नमः

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