जिले में 55 एपीएचसी, कुछ बंद तो ज्यादातर में नहीं आते डॉक्टर
नवादा के ग्रामीण इलाकों में नागरिकों को इलाज की सुविधा मिले, इसके लिए सरकार ने अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र तक की व्यवस्था की है। गांव-घर में स्वास्थ्य की देखभाल हो, इसके लिए स्वास्थ्य उपकेन्द्र तक...
नवादा के ग्रामीण इलाकों में नागरिकों को इलाज की सुविधा मिले, इसके लिए सरकार ने अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र तक की व्यवस्था की है। गांव-घर में स्वास्थ्य की देखभाल हो, इसके लिए स्वास्थ्य उपकेन्द्र तक बनाए गए हैं, लेकिन निगरानी के अभाव में सभी दावे कागजी साबित हो रहे हैं। जिले में 55 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं, लेकिन अधिकतर बंद पड़े हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि वर्तमान में 35 एपीएचसी कार्यरत हैं, जहां डॉक्टर सेवा प्रदान कर रहे हैं, लेकिन ग्राउन्ड जीरो पर पहुंचने के बाद असलियत कुछ अलग ही बयान करती है।
सरकार से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक भले ही नवादा की आम जनता को घर-घर तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने का लाख दावा करें, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है। आयुष्मान भारत के तहत हेल्थ फॉर ऑल की बातें हो रही हैं। बावजूद समाज का एक बड़ा तबका स्वास्थ्य सेवाओं की बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित हैं। जमीनी हकीकत बयान करती है कि एक तरफ सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था लचर स्थिति में है, तो निजी स्वास्थ्य सेवा का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है।
आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने गुरुवार को जिले के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में बहाल सेवा की पड़ताल की, तो स्याह सच निकल कर सामने आया। पब्लिक यह भी नहीं जानती कि प्रखंड में कितने एपीएचसी, कहां-कहां संचालित हैं? ग्रामीणों की मानें, तो एडिशनल प्राइमरी हेल्थ सेंटर (एपीएचसी) की स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे चलती हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने जिले के 35 कार्यरत एपीएचसी पर 22 आयुष और 03 एमबीबीएस चिकित्सक बहाल कर रखे हैं। यहां तक की हिसुआ के मंझवे, काशीचक के लालबिगहा, सदर प्रखंड के ओढ़नपुर, रोह और मेसकौर के एक-एक एपीएचसी में पैथोलॉजिकल जांच की भी सुविधा उपलब्ध करायी गई है। लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं दिखता।
प्रखंड एपीएचसी संख्या कार्यरत
सदर 06 04
हिसुआ 03 01
सिरदला 04 02
रजौली 04 02
अकबरपुर 06 04
नरहट 03 03
कौआकोल 04 03
पकरीबरावां 07 01
नारदीगंज 03 03
रोह 04 02
मेसकौर 03 02
काशीचक 02 03
गोविंदपुर 02 02
वारिसलीगंज 04 03
कुल 55 35
रोह : छह महीने से बंद पड़ा है साथे एपीएचसी
रोह प्रखंड क्षेत्र के साथे और मरुई गांव में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत खोले गए दोनों एपीएचसी में सिर्फ एक-एक आयुष चिकित्सक की पोस्टिंग की गई। साथे गांव का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र छह महीने से बंद पड़ा है। यहां पदस्थापित एकमात्र चिकित्सक दूसरे संस्थान में नौकरी करने चले गए। लिहाजा छह महीने से साथे एपीएचसी वीरान पड़ा है। इसके पोषक क्षेत्र के मरीजों को नीम-हकीम से अपना इलाज कराना पड़ रहा है। क्योंकि साथे गांव से रोह पीएचसी करीब पांच किमी दूर है। इधर मरुई स्थित एपीएचसी में सप्ताह में केवल दो दिन चिकित्सक आते हैं। बाकी चार दिन यहां के चिकित्सक को रोह पीएचसी में ड्यूटी बजानी पड़ती है। ऐसे हालात में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ सुदूरवर्ती गांवों तक पहुंचाने की बात कोरी साबित होती नजर आ रही है। अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की वर्तमान व्यवस्था से ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिससे आमलोगों में निराशा है।
नरहट : खनवां एपीएचसी के डॉक्टर सीएचसी में देख रहे मरीज
वैश्विक महामारी कोविड-19 का संक्रमणकाल प्रारंभ होते ही नरहट सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी शैलेन्द्र नारायण लंबी छुट्टी पर चले गए। अब उनके छुट्टी पर जाने के साथ ही प्रखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर हालात में पहुंची है। प्रखंड के 03 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य का हाल बेहाल है। एपीएचसी में तैनात डॉक्टर की प्रतिनुक्ति सीएचसी में कर दी गयी है, लिहाजा इन क्षेत्रों के मरीजों को ईलाज के लिए नीम-हकीम का सहारा लेना पड़ रहा है। प्रखंड क्षेत्र में सीएचसी नरहट के अलावा तीन एपीएचसी खनवां, डेढ़गवां व पुनौल है। खनवां अस्पताल में लूट कांड होने के बाद से यह सुचारू तरीके से संचालित नहीं हो पाया है। सिर्फ इस केंद्र पर रूटीन टीकाकरण कार्य होता है। वहीं एपीएचसी पुनौल व डेढगवां की हालत बिल्कुल बदतर है। इन सेंटरों में पदस्थापित डॉक्टरों को भी नरहट सीएचसी में प्रतिनियुक्ति किया गया हैं। लिहाजा ग्रामीणों के लिए मुहैया करायी गई स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह बदहाल स्थिति में है। खनवां पंचायत के मुखिया शंकर रजक व पुनौल पंचायत मुखिया अमृत राम ने बताया कि डॉक्टरों को सीएचसी में प्रतिनियुक्त किए जाने से एपीएचसी वीरान पड़ा हैं। ग्रामीण इलाकों में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पकरीबरावां : बोर्ड पर चल रहा है डोला गांव का एपीएचसी
पकरीबरावां के धमौल में स्थित एपीएचसी का हाल बुरा है। यहां एक आयुष चिकित्सक एवं दो एएनएम पदस्थापित है। ग्रामीणों ने बताया कि एपीएचसी कोई काम का नहीं है। केवल टीकाकरण के दिन एएनएम यहां आती हैं। आम नागरिक को करीब 12-15 किमी का फासला तय करके इलाज के लिए पकरीबरावां सीएचसी जाना पड़ता है। इधर, प्रखण्ड के डोला गांव स्थित एपीएचसी में सुविधा के नाम पर केवल बोर्ड टंगा हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र का उद्घाटन वर्ष 2009 में पूर्व विधायक प्रदीप कुमार ने किया था। जानकार बताते हैं कि डोला, उकौड़ा, बढ़ौना एवं धेवधा गांवों में अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र खोलने की योजना थी। डोला एवं उकौड़ा में एपीएचसी का उद्घाटन भी किया गया था, पर धेवधा में इसका उद्घाटन नहीं किया गया। उपप्रमुख दिनेश सिंह ने बताया कि केवल नाम का है एपीएचसी, कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलती। सीएचसी प्रभारी डॉ. एम जुबैर ने बताया कि कोरोना के बढ़ते मामले के समय धमौल एपीएचसी के प्रभारी को सीएचसी बुला लिया गया है। अब वे नियमित रूप से वहां जाएंगे। उन्होंने बताया कि डोला सहित अन्य जगह एपीएचसी कार्य में नहीं है।
वर्जन
कोविड-19 के शुरुआती दौर में स्वास्थ्य विभाग का निर्देश मिला था कि स्वास्थ्य केन्द्रों पर ओपीडी चिकित्सकीय सुविधा देना बंद कर दिया जाएं। ऐसी स्थिति में एपीएचसी में तैनात चिकित्सक प्रखंड मुख्यालय के अस्पताल में सेवा दे रहे थे। हाल के दिनों में इन एपीएचसी में डॉक्टरों ने जाना प्रारंभ कर दिया है, फिलहाल, सप्ताह के एक दिन लोगों के स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था की गई है। जल्द ही सभी चिकित्सक नियमित रूप से एपीएचसी में अपनी सेवा देना शुरु कर देंगे। एएनएम नियमित टीकाकरण के लिए इन केन्द्रों पर जा रही हैं।
- डॉ. विमल प्रसाद सिंह, सिविल सर्जन, नवादा
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