राजबल्लभ यादव के परिवार में फूट या लालू का साथ रहा छूट? भतीजे MLC अशोक हुए नीतीश के साथ
- नवादा से निर्दलीय विधान पार्षद और बाहुबली नेता राजबल्लभ यादव के भतीजे अशोक यादव अब नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के साथ हो गए हैं। विधान परिषद के सभापति से उन्होंने जेडीयू के सदस्यों के साथ बैठने की इजाजत मांगी थी जिसे मंजूर कर लिया गया।
नवादा में लंबे समय से लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता रहे राजबल्लभ यादव के भतीजे और निर्दलीय विधान पार्षद अशोक यादव अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ हो गए हैं। राजद के कैंडिडेट को हराकर 2022 में स्थानीय निकाय सीट से विधान परिषद पहुंचे अशोक यादव ने विधान परिषद सभापति से जेडीयू सदस्यों के साथ बिठाने का आग्रह किया था जिसे मंजूर कर लिया गया है। बार-बार लालू से बगावत करते रहे राजबल्लभ यादव परिवार में कोई फूट पड़ी है या परिवार का रिश्ता अब तेजस्वी यादव से टूट रहा है, ये आने वाले समय में पता चलेगा।
याद करने लायक बात ये है कि निर्दलीय अशोक यादव ने जब राजद के श्रवण कुशवाहा को हराया था, तब कहा था कि उनके आगे के राजनीतिक सफर का फैसला राजबल्लभ यादव करेंगे जो इस समय जेल में सजा काट रहे हैं। अशोक यादव के पिता कृष्णा यादव 1990 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर ही नवादा से विधायक बने थे। 1992 में जब लालू सरकार पर संकट आया तो कृष्णा यादव बीजेपी के कुछ विधायकों के साथ अलग होकर सत्ता पक्ष में आ गए। 1994 में कृष्णा यादव का निधन हो गया। 1995 के विधानसभा चुनाव में लालू यादव ने नवादा से चंद्रभूषण यादव को टिकट दे दिया। इस सीट से दावेदार रहे कृष्णा के भाई राजबल्लभ यादव निर्दलीय ही लड़ गए और जीत भी गए। जीतकर वे लालू के साथ ही रहे लेकिन ये राजबल्लभ यादव की पहली बगावत थी। इसके बाद लालू ने राजबल्लभ को मंत्री बनाया, उनको और उनकी पत्नी को लोकसभा कई बार लड़ाया।
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फिर 2022 में राजबल्लभ परिवार से दूसरी बगावत अशोक यादव ने की और विधान परिषद चुनाव में निर्दलीय लड़े। राजद के जिस श्रवण कुशवाहा को अशोक ने हराया उनके कारण ही परिवार ने तीसरी बार भी बगावत की। 2024 के लोकसभा चुनाव में राजबल्लभ के भाई बिनोद यादव लड़ने के लिए पूरी तैयारी करके बैठे थे। लेकिन लालू और तेजस्वी ने कुशवाहा वोट को साधने के लिए नवादा से श्रवण कुशवाहा को लड़ा दिया। फिर बिनोद यादव भी निर्दलीय लड़ गए। बिनोद यादव के समर्थन में राजबल्लभ की पत्नी और नवादा की मौजूदा विधायक विभा देवी, नवादा से ही राजद के एक और विधायक प्रकाश वीर के साथ ही एमएलसी अशोक यादव खुलकर राजद के खिलाफ वोट मांगते नजर आए। बिनोद यादव 39 हजार वोट ही ला सके।
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नवादा में राजबल्लभ यादव और कौशल यादव के परिवार के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई है। कौशल यादव की मां गायत्री यादव छह बार नवादा और गोबिंदपुर से विधायक रहीं। कौशल की पत्नी पूर्णिमा यादव नवादा से लगातार तीन बार और एक बार गोबिंदपुर से विधायक रहीं। खुद कौशल गोबिंदपुर से लगातार तीन बार और नवादा से एक बार जीते। कृष्णा यादव के निधन के बाद परिवार की राजनीति का नेतृत्व राजबल्लभ के हाथ में आ गया।