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वक्फ बचाओ रैली में बंदूक के साथ धराया युवक

मुजफ्फरपुर में वक्फ बचाओ रैली के दौरान एक युवक को बंदूक के साथ पकड़ा गया। युवक ने नगालैंड से जारी लाइसेंस दिखाया, लेकिन पुलिस ने उसे फर्जी पाया। युवक ने बताया कि वह गार्ड की नौकरी के लिए लाइसेंस...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरSun, 27 April 2025 07:05 PM
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वक्फ बचाओ रैली में बंदूक के साथ धराया युवक

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। शहर में शनिवार को निकली वक्फ बचाओ संविधान बचाओ रैली में बंदूक लेकर पहुंचे युवक को नगर थाने की पुलिस ने कलेक्ट्रेट के पास से पकड़ा। वह जुलूस में लोगों के बीच में बंदूक लेकर चल रहा था। उस पर नजर पड़ते ही पुलिस ने उसे पकड़ लिया। थाने लाकर जांच की गई तो उसने नगालैंड के दीमापुर से जारी लाइसेंस को दिखाया।

नगर थानेदार शरत कुमार ने बताया कि लाइसेंस की इंट्री बिहार में नहीं कराई गई है। इसका रिन्युअल भी नहीं हुआ है। लाइसेंस के फर्जी होने की आशंका पर जांच की जा रही है। आर्म्स दंडाधिकारी से लाइसेंस की जांच के लिए आग्रह किया गया है। नगर थाने पर पूछताछ के दौरान युवक ने अपना नाम रमेश कुमार सिंह बताया। वह देवरिया थाना के मोहब्बतपुर गांव का मूल निवासी है। भगवानपुर में किराए के मकान में रहता है। वह एक गैस कंपनी के गोदाम पर गार्ड की नौकरी करता है। उसने पुलिस को बताया कि बेला के मो. मुमताज नामक एक बाउंसर से उसकी जान पहचान है। उसी बाउंसर के कहने पर वह वक्फ बचाओ रैली में शामिल होने आया था। उसने पुलिस से कहा कि उसे पता नहीं था कि बंदूक लेकर रैली में नहीं आना है। बीते पांच साल से उसके पास नगालैंड के दीमापुर से जारी लाइसेंस पर दो नाली बंदूक है। उसी लाइसेंस पर वह आर्म्स की निबंधित दुकानों से गोलियां भी खरीदता रहा है।

नगर थानेदार ने बताया कि भीड़ में काफी देर से रमेश पर नजर रखी जा रही थी। उसकी गतिविधि संदिग्ध प्रतीत हो रही थी। वह रैली में बंदूक का प्रदर्शन कर रहा था। उसी समय उसे पकड़ा गया। रैली में शामिल लोगों ने रमेश को पकड़ाने के दौरान कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वह किसके साथ आया और रैली में क्यों शामिल हुआ इसकी भी जांच की जा रही है।

रमेश कभी नहीं रहा दीमापुर में, फिर भी बन गया लाइसेंस :

पुलिस ने रमेश से पूछा कि क्या वह पहले नगालैंड के दीमापुर में ही रहता था। इस पर उसने जवाब दिया कि वह वहां कभी नहीं रहा। वह शुरू से ही मुजफ्फरपुर में रहा है। उसे गार्ड की नौकरी करनी थी। इसके लिए उसने आर्म्स लाइसेंस बनाने वाले दलालों से संपर्क कर नगालैंड का लाइसेंस बनवाया और बंदूक खरीदकर गार्ड की नौकरी कर रहा है। पुलिस का कहना है कि जब कोई व्यक्ति नगालैंड में स्थाई रूप से रहा ही नहीं तो उसे आर्म्स लाइसेंस कैसे मिल सकता है। इसलिए शक है कि यह लाइसेंस फर्जी होगा।

मुजफ्फरपुर में फर्जी लाइसेंस पर धरा चुके हैं कई हथियार :

मुजफ्फरपुर में फर्जी लाइसेंस पर पूर्व में भी कई अवैध हथियार पकड़े जा चुके हैं। बीते साल चार अक्टूबर को बिहार एसटीएफ की सूचना पर पुलिस ने भगवानपुर स्थित एक वाहन एजेंसी के संचालक के दो निजी बॉडीगार्ड को दो पिस्टल और 27 कारतूस के साथ पकड़ा था। जांच में दोनों पिस्टल का लाइसेंस फर्जी पाया गया। इसके बाद गिरफ्तार बॉडीगार्ड भोजपुर के टीकापुर निवासी मुन्ना राय और रोहतास के कछवा थाना के मंगराव निवासी धनंजय चौबे को जेल भेजा गया था। उसी दिन जूरन छपरा के एक डॉक्टर के बॉडीगार्ड रोहतास जिले के रघुनाथपुर निवासी आलोक मिश्रा को फर्जी लाइसेंस, पिस्टल और 16 गोलियों के साथ पकड़ा गया था। इससे पहले मनियारी टोल प्लाजा पर गार्ड की नौकरी कर रहे दो युवकों को फर्जी लाइसेंस, बंदूक व कारतूस के साथ गिरफ्तार किया गया था।

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