गांधी और विवेकानंद के विचारों में भारतीय राष्ट्रवाद का दर्शन: प्रो. रागी
मुजफ्फरपुर में बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग और आईसीएचआर द्वारा 'भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। उद्घाटन प्रो. संगीत रागी ने किया,...
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मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददता। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग व आईसीएचआर के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को सीनेट हाल में ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हुआ। उद्घाटन दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. संगीत रागी ने किया।
उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रवाद का दर्शन स्वामी विवेकानंद, टैगोर और गांधी के विचारों में झलकता है। प्रो. रागी ने पश्चिम की उस सोच को नकार दिया, जिसके अनुसार भारत कभी एक राष्ट्र था ही नहीं। उन्होंने बताया कि किस तरह सयुंक्त राज्य अमेरिका ने अपने राष्ट्र निर्माण हेतु कैथोलिक धर्म का सहारा लिया और आज क्यों अपनी राष्ट्रीयता की रक्षा के लिए यूरोप के देश सारी सहिष्णुता को ताक पर रख दूसरे मुल्कों से आने वालों को प्रतिबंधित करने को वीसा नियमों को कठोर बना रही है।
मुख्य अतिथि सेंट्रल यूनिवर्सिटी मोतिहारी के कुलपति डॉ. संजय श्रीवास्तव ने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में भारतीय राष्ट्रवाद की प्राचीनता का उल्लेख किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. दिनेश चंद्र राय ने कहा कि भारत की संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम की संस्कृति है। हमारी संस्कृति हमारे विचारों की वाहक है, जो पूरी दुनिया को अपने विचारों से आच्छादित करती है। हमें अपनी संस्कृति पर गर्व है।
विभागाध्यक्ष प्रो. नीलम कुमारी ने आगत अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद भारत की संस्कृति, जीवन मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत को अग्रसर करने की ओर राह दिखाता है। भारत की संस्कृति विश्व को जोड़ने का काम करती है। विषय प्रवेश डॉ. मधु सिंह ने राया। मंच संचालन डॉ. अमर बहादुर शुक्ला ने किया।
इस अवसर पर पिछले महीने सेवानिवृत हुए प्रो. अनिल कुमार ओझा को कुलपति ने सम्मानित किया। विभाग की ओर से एक स्मारिका का लोकार्पण किया गया, जिसमें 90 शोधार्थियों के द्वारा प्रस्तुति हेतु दिए गए पेपर को संग्रहित किया गया है। कार्यक्रम में प्रसिद्ध राजनीति विज्ञान विशेषज्ञ प्रो. जितेन्द्र नारायण, प्रो. विकास नारायण उपाध्याय, प्रो. अरुण कुमार सिंह, डॉ. दिलीप कुमार, डॉ. नित्यानंद शर्मा, डॉ. राजेश्वर प्रसाद सिंह उपस्थित रहे।
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