डॉ. शांति सुमन का जाना हिंदी साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति
- पिछले कुछ महीनों से खराब चल रहा था उनका स्वास्थ्य - डॉक्टर महेंद्र मधुकर
मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। डॉ. शांति सुमन का जाना हिंदी साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। रविवार को वारिष्ठ साहित्यकार डॉ. महेंद्र मधुकर समेत अन्य साहित्यकारों ने डॉ. शंति सुमन के निधन पर शोक जताते हुए ये बातें कहीं। साहित्यकारों ने उनके साहित्यिक योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
एलएस कॉलेज में डॉ. शांति सुमन को पढ़ा चुके डॉ. महेंद्र मधुकर ने कहा कि वे मेरी प्रिय छात्रा रही हैं। कॉलेज के दिनों से ही उन्हें लेखन का शौक था। सालभर पहले मेरे उपन्यास के लोकार्पण में आई थीं। अस्वस्थता के बावजूद उन्होंने इसमें हिस्सा लिया। उनका जाना मेरे लिए गहरा शोक का विषय है। साहित्यकार डॉ. भावना ने कहा कि डॉ. शांति सुमन मेरी प्रिय गीतकार रही हैं। विद्यार्थी जीवन से ही उनकी रचनाओं की कायल रही हूं। पिछले कुछ महीनों से जब उनका स्वास्थ्य खराब चल रहा था, तो खूब सारी बातें हुईं। अचानक उनके न होने की सूचना से मन विह्वल है। बीआरएबीयू के भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रो. जयकांत सिंह जय ने कहा कि शांति सुमन जी नवगीतकार थीं। 90 के दशक में जब हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद गया तो उनके बारे में पहली बार सुना। उनकी कविता छोटी हो गई रोटी जन सरोकार से जुड़ी थी। उनका जाना सबको मर्माहत कर गया।
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