अल्लाह का शुक्र अदा करने वाले होते हैं जन्नत के हकदार
अल्लाह का शुक्र अदा करने वाले जन्नत के हकदार होते हैं। माह-ए-रमजान में रोजेदारों को अल्लाह को शुक्र अदा करने का मौका मिलता है। माह-ए-रमजान को सब्र...
अल्लाह का शुक्र अदा करने वाले जन्नत के हकदार होते हैं। माह-ए-रमजान में रोजेदारों को अल्लाह को शुक्र अदा करने का मौका मिलता है। माह-ए-रमजान को सब्र का महिना माना गया है। यह बयान फरमाते हुए माड़ीपुर निवासी उर्दू की शिक्षिका जीतन फातमा कहती हैं कि अगर सच्चे रोजे की मंजील से गुजरे हुए शख्स को कोई गाली देता है तो वह सब्र करेगा। कोई उसे मारे तो सब्र करेगा। कोई उसपर जुल्म करेगा तो सब्र करेगा। कोई उसे सताएगा तो सब्र करेगा। कोई उसका माल हड़पेगा तो सब्र करेगा और यही सब्र की ताकत उसे जिंदगी के हर मैदान में फतह हासिल कराएगा।
सिर्फ और सिर्फ अल्लाह का खौफ उसके सामने होगा। वह हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा करने वाला खुद को साबित करके हकदार-ए-जन्नत बन जायेगा। बस शर्त यह है कि सब्र व शुक्र के साथ रोजा इस तरह रखा जाए कि पूरा जिस्म व जान रोजा बन जाए। कान का रोजा यह है कि वह गलत न सुने। आंख का रोजा यह है कि वह गलत न देखें। दिमाग का रोजा है कि वह गलत न सोचे। नाक का रोजा यह है कि वह अपनी हर सांस पर अल्लाह का शुक्र अदा करें।
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