सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़ने वालों को तीन वर्षों तक देनी होगी सेवा
बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन व डिप्लोमा उतीर्ण छात्रों को राज्य में तीन वर्षों की अनिवार्य सेवा देना होगा। राज्य सरकार ने यह आदेश वैश्विक महामारी कोविड-19 के मद्देनजर जारी किया है।...
बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन व डिप्लोमा उतीर्ण छात्रों को राज्य में तीन वर्षों की अनिवार्य सेवा देना होगा। राज्य सरकार ने यह आदेश वैश्विक महामारी कोविड-19 के मद्देनजर जारी किया है। सूबे के मेडिकल कॉलेज और सदर व पीएचसी में डॉक्टरों की आवश्यकता को देख हुए राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है। 19 चिकित्सीय विभागों के लिए राज्य सरकार ने 370 डॉक्टरों का राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में पीजी व डिप्लोमा उतीर्ण डॉक्टरों की पदस्थापित किया गया है। सरकार के अवर सचिव कौशल किशोर द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सभी चिकित्सकों को पत्र निर्गत होने के एक महीने के अंदर आवंटित चिकित्सीय संस्थान में योगदान ले लेना आवश्यक होगा। अवर सचिव ने कहा कि नियोजन किसी भी रूप में नियमित नियोजन नहीं माना जाएगा।
राज्य सरकार की ओर से जारी डॉक्टरों की सूची में करीब 30 डॉक्टर एसकेएमसीएच व सरकारी जिले के सरकारी अस्पतालों को आवंटित किए गए हैं।
65000-82000 होगा मासिक मानदेय
अवर सचिव के जारी पत्र में कहा गया है कि जिस डिप्लोमाधारी चिकित्सा पदाधिकारी को चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में सीनियर रेजिडन्ट के आधार पर संविदा नियोजन किया गया है उन्हें 65 हजार रुपये मासिक मानदेय का भुगतान किया जाएगा। वहीं ऐसे पीजी उत्तीर्ण/डिप्लोमाधारी विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी जिन्हें सदर व अनुमंडलीय अस्पतालों में चिकित्सा अधिकारी के रुप में संविदा पर बहाल किया गया है उन्हें 82 हजार रुपये मासिक मानदेय का भुगतान किया जाएगा।
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