दलित प्रवासियों के घर में जगह नहीं, समियाना तान कर हुए होम क्वारंटाइन
सभी प्रवासी गुजरात से पहुंचे गोरौल, डॉक्टर ने भेजा सभी को घर
झोपड़ीनुमा घर उसमें वह भी एक ही, ऐसे में होम क्वारंटाइन होना संभव नहीं। ऐसे में गांव वालों की मदद से खेत में एक समियाना ताना गया जिसमें नौ प्रवासी होम क्वारंटाइन हुए। चिलचिलाती धूप और भिषण गर्मी प्रवासियों के लिए आफत बनी हुई है।
गोरौल के लोदीपुर पंचायत के राजखंड गांव के नौ मजदूर गुजरात के गांधीधाम और कच्छ से लॉकडाउन के कारण आपसी सहयोग से निजी वाहन से अपने गांव आए। करीब 17 सौ किलीमीटर की यात्रा तयकर प्रखंड मुख्यालय पहुंचा। वहां अपना रजिस्ट्रेशन कराया। डॉक्टरों ने जांच करने के बाद सभी को होम क्वारंटाइन में रहने की बात कहकर भेज दिया। गांव में पहुंचा तो अगल समस्या। फूंस का घर उसमें भी एक। उसी में परिवार भी रहता है। एक घर में रहकर माता-पिता, पत्नी और बच्चों से भी अलग थलग रहना मुश्किल है। 14 दिनों तक अपने बच्चों को न गोद में बैठा सकते है न समीप में बुलाकर प्यार कर सकते हैं। यह भगवान की कैसी बिडंबना है। प्रवासी बताते हैं दूरी बनाकर रहना मजबूरी है। संक्रमित निकला तो परिवार के साथ साथ आसपास में संक्रमण फैलने की आशंका। सभी नौ प्रवासियों ने ग्रामीणों से विचार कर गांव के एक खेत में समियाना तनवाकर उसी में 14 दिन तक रहने का निर्णय लिया। उसी जगह सभी आपने अपने घरों से खाट मंगवाकर यही रह रहे हैं। सभी के घरों से खाना आता है और तीन फीट की दूरी से प्रवासियों को दिया जाता है। प्रवासियों ने बताया सुकून इतना है कि अपने आंखों से अपने परिजन को देख रहे है। सरकार यहां काम दे तो अब प्रदेश नहीं जाएंगे।
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