कल तक स्कूल में पढ़ाते रहे, आज चला रहे दुकान
कल तक मैथ के बेहतरीन शिक्षक कहलाते सानू कुमार आज एक कपड़े की दुकान पर काम कर रहे हैं। स्कूल बंद है। ऐसे में पिछले 10 महीने से सानू कुमार को सैलरी...
मुजफ्फरपुर। वरीय संवाददाता
कल तक मैथ के बेहतरीन शिक्षक कहलाते सानू कुमार आज एक कपड़े की दुकान पर काम कर रहे हैं। स्कूल बंद है। ऐसे में पिछले 10 महीने से सानू कुमार को सैलरी नहीं मिली है। अपने घर परिवार चलाने को लेकर मजबूर होकर शिक्षण पेशा से अलग उन्होंने कपड़े की दुकान में नौकरी कर ली है। सानू कहते हैं कि कल भले ही मैं बच्चों के बीच ज्ञान बांटता था मगर अभी अपने बच्चों का भोजन जुटाना मुश्किल हो गया। ऐसे में शिक्षक से अब दुकानदार बन गया हूं। किसी तरीके से रोजी-रोटी तो कमानी ही है। कुछ ऐसी ही पीड़ा दवा दुकान में काम कर रहे शिक्षक राजा कुमार की है। राजा कहते हैं कि मैं साइंस का शिक्षक हूं। लंबे समय से स्कूल बंद है और नौकरी पर रहते हुए भी सैलरी नहीं मिलने के कारण बेरोजगार हूं। ऐसे में अपने बच्चों का पेट भरने को दवा दुकान में नौकरी कर ली है। यह व्यथा किसी एक स्कूल के शिक्षक की नहीं है बल्कि जिले में पांच हजार से अधिक शिक्षकों की है। वे इस विषम परिस्थिति से गुजर रहे हैं।
जिले में 14 महीने में ढाई सौ छोटे-बड़े प्राइवेट स्कूल बंद हो गया। जिले में लगभग 1300 स्कूल चल रहे हैं। हाल यह कि जो स्कूल चल भी रहे हैं वहां से भी 40 से 50 फीसदी शिक्षक को हटा दिया गया है। यही नहीं जो शिक्षक हैं अभी ,वह बिना सैलरी के ही काम करने को मजबूर हैं। स्कूल वालों का कहना कि जब पैसा आएगा तब सैलरी दी जाएगी। ऐसे में शिक्षण पेशा छोड़ सैकड़ों शिक्षक अब दूसरा विकल्प तलाश रहे हैं। सब्जी और फल का ठेला तक लगाने को मजबूर हैं ये शिक्षक।
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