कॉलेज नैक से रिजेक्ट हो रहे या मिलता सी ग्रेड
उत्तर बिहार सहित सूबे के अधिकांश कॉलेज नैक (नेशनल असेस्मेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल) से मूल्यांकन के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। कॉलेजों में आधारभूत संरचना सहित कई तरह की कमियां...
उत्तर बिहार सहित सूबे के अधिकांश कॉलेज नैक (नेशनल असेस्मेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल) से मूल्यांकन के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। कॉलेजों में आधारभूत संरचना सहित कई तरह की कमियां हैं। आरडीएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. ओमप्रकाश सिंह ने सरकार के स्तर पर मांग की है कि नैक मूल्यांकन से पहले कॉलेजों में आधारभूत संरचना मजबूत कराया जाए। इसके लिए फंड की आवश्यकता है। नैक के मानक के अनुरूप इस वक्त अधिकांश कॉलेजों में सुविधा नहीं है। ऐसे में सीमित अवधि में नैक कराना मुश्किल है। यही कारण है कि सूबे के करीब 80 फीसदी कॉलेज नैक मूल्यांकन के लिए या तो ऑनलाइन मूल्यांकन में रिजेक्ट हो जा रहे हैं या सी ग्रेड मिल जा रहा है।
एमएस कॉलेज मोतिहारी, पटना कॉलेज, गया कॉलेज जैसे बड़े कॉलेजों को सी ग्रेड मिल जा रहा है। इसका नुकसान आने वाले दिनों में इन कॉलेजों को होगा। कॉलेज के मूल्यांकन से पहले तमाम कमजोर कॉलेजों को मदद कर विकसित किया जाए। इसके बाद नैक मूल्यांकन कराया जाए। शोध पर नैक अधिक अंक देता है। लेकिन शोध की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। खेलकूद की सुविधाओं का भी अभाव है। तमाम पहलुओं पर ध्यान देने के बाद कॉलेजों का नैक मूल्यांकन कराया जाए। ताकि कॉलेजों को बेहतर ग्रेड मिल सके और छात्रों को भी इसका लाभ मिले। इस वक्त 42 अंगीभूत कॉलेजों में 24 कॉलेजों का नैक से मूल्यांकन हुआ है। जबकि 18 कॉलेजों का नैक मूल्यांकन बचा है। इसमें कई कॉलेज मूल्यांकन के लिए नैक कार्यालय को एसएसआर (सेल्फ स्टडी रिपोर्ट) भेज चुके हैं। कॉलेजों के लिए नैक कराना जरूरी हो गया है। नैक से रिजेक्ट या सी ग्रेड मिलने से विकास के लिए मिलने वाली अनुदान की राशि अटकने की आशंका है।
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