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पुणे का युवक बिहार आया नहीं, रेप केस में गिरफ्तार

महाराष्ट्र के पुणे के एक युवक को बेतिया पुलिस की कारगुजारी का शिकार होना पड़ा। वह कभी बिहार नहीं आया फिर भी उसे एक रेप कांड में नामजद करने के बाद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। थाना स्तर से शुरू हुई इस...

हिन्दुस्तान टीम मुजफ्फरपुरFri, 7 June 2019 09:30 AM
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महाराष्ट्र के पुणे के एक युवक को बेतिया पुलिस की कारगुजारी का शिकार होना पड़ा। वह कभी बिहार नहीं आया फिर भी उसे एक रेप कांड में नामजद करने के बाद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। थाना स्तर से शुरू हुई इस चूक को जोनल आईजी नैयर हसनैन खान ने पकड़ा। उन्होंने पश्चिम चंपारण के नरकटियागंज के एसडीपीओ निसार अहमद से स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही साठी थाना के दारोगा सह उक्त केस के आईओ दारोगा विनोद कुमार सिंह व सिपाही कृष्णा कुमार को निलंबित कर दिया है। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने का निर्देश बेतिया एसपी को दिया है। आईजी ने जेल में बंद युवक को आरोप मुक्त करते हुए कोर्ट को इसकी सूचना देने का भी निर्देश एसपी को दिया है। 06 अक्टूबर 2018 को साठी थाना क्षेत्र की एक महिला के कोर्ट परिवाद पर तत्कालीन थानेदार ने पुणे निवासी युवक के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज किया। नरकटियागंज एसडीपीओ नासिर अहमद ने केस दर्ज होने के 17 दिन बाद पर्यवेक्षण रिपोर्ट जारी की। साथ ही आईओ को आरोपित को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। आईओ दारोगा विनोद कुमार सिंह व सिपाही कृष्ण कुमार ने आरोपित को उसके घर से गिरफ्तार किया। साथ ही बेतिया कोर्ट में पेशकर उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

युवक की मां की शिकायत पर एसपी ने की समीक्षा

युवक को जेल भेजे जाने के बाद उसकी मां ने आईजी से शिकायत की। कहा कि उसका पुत्र कभी बिहार आया ही नहीं। पीड़िता को पहचानता तक नहीं है। इसके आलोक में आईजी के निर्देश पर बेतिया एसपी ने 30 मार्च 2019 को उक्त केस की समीक्षा साठी थाने पर की।

गलत मिली एसडीपीओ की जांच रिपोर्ट

समीक्षा के बाद एसपी ने रिपोर्ट तीन जारी की। इसमें एसडीपीओ नरकटियागंज की जांच रिपोर्ट को गलत पाया। इस आधार पर एसपी ने इस केस को असत्य बताया और इसके अनुमोदन के लिए बेतिया रेंज के डीआईजी को रिपोर्ट को भेजी।

साक्ष्य के बिना गिरफ्तारी पर उठाये सवाल

आईजी ने एसडीपीओ की जांच पर गंभीर सवाल उठाये हैं। कहा है कि एसडीपीओ ने निजी लाभ व स्वार्थ के लिए अत्याधिक जल्दबाजी में पीड़िता का बगैर धारा 164 का बयान कराए और साक्ष्यों की समीक्षा के बिना ही गिरफ्तारी का निर्णय लिया। कर्तव्यहीनता व गैर कानूनी ढंग से एक निर्दोष को गंभीर केस में समुचित साक्ष्य के बिना आरोपित कर दिया। जबकि एसपी की रिपोर्ट तीन में पीड़िता की मां, भाई व भतीजा और घटनास्थल के आसपास के स्वतंत्र गवाहों ने घटना का समर्थन नहीं किया है।

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