पहले दस हजार बेचते थे, इसबार दो हजार पर भी आफत
मुशहरी। शाही लीची की तुड़ाई शुरू हो गई है। तुड़ाई के बाद लीची को स्थानीय
मुशहरी। शाही लीची की तुड़ाई शुरू हो गई है। तुड़ाई के बाद लीची को स्थानीय और राज्य के अन्य जिलों में लॉकडाउन के कारण बाजार नहीं मिल रहे। शहर के ठीक बाहर दिघरा में एनएच 28 किनारे लीची बेचने वाले मो महमूद बताते हैं कि अभी महज चार घंटे की बिक्री सुबह 7 से 11 बजे तक हो पाती है। उसमें भी अभी बहुत कम लोग बाहर निकल रहे हैं। पूर्व में जिस जगह खड़े होकर नियमित 7 से 10 हजार लीची बिक जाती थी अभी उस जगह महज दो हजार लीची बिक पा रही है। ऐसे में बगान खरीद में पूंजी तो लगाया मगर इससे लागत निकलना भी अभी के हालात में मुश्किल हो गया है। इधर राज्य के अन्य शहरों में लीची का व्यवसाय करने वाले मो मुर्तजा बताते हैं कि इस साल एक तो बगान में तुड़ाई पर पता चला कि लीची की उपज कम हो गई है। पेटी नहीं पूरा हो रहा है। ऊपर से बाहर के जिलों में भेजने पर वहां इसके लिए बाजार और खरीदार दोनों बंद हैं। इस साल फिर लीची का व्यवसाय नुकसानदेह साबित हो रहा है।
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