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पुलिस 34 साल में भी कोर्ट में नहीं पेश कर पाई जब्त रिवॉल्वर

मुजफ्फरपुर में 44 साल पुरानी अवैध हथियार निर्माण मामले में पुलिस न्यायालय में कोई सबूत पेश नहीं कर पाई। तीन आरोपितों में से एक को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। मामले में गवाहों की कमी के कारण...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरThu, 20 Feb 2025 05:45 PM
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पुलिस 34 साल में भी कोर्ट में नहीं पेश कर पाई जब्त रिवॉल्वर

मुजफ्फरपुर, गुलशाद। सदर थाना के दिघरा में अवैध हथियार निर्माण मामले में पुलिस 44 साल में भी जब्त रिवॉल्वर, अर्धनिर्मित हथियार और हथियार बनाने वाले औजार न्यायालय में पेश नहीं कर पाई। पुलिस की ओर से कोई गवाह भी कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुआ, जबकि मामले में अधिकतर गवाह पुलिसकर्मी ही हैं।

अवैध हथियार फैक्ट्री संचालित करने को लेकर पुलिस ने तीन आरोपितों पर केस किया था। इनमें एक आरोपित दिघरा के चंदेश्वर ठाकुर पर ट्रायल चला। उसे साक्ष्य के अभाव में बीते 12 फरवरी को सीजेएम कोर्ट ने बरी कर दिया है। केस में एक आरोपित का नाम कोर्ट के आदेश पर हटा दिया गया, जबकि एक अन्य जमानत मिलने के बाद फरार चल रहा है। उसके खिलाफ इश्तेहार व कुर्की भी जारी हुई। मामले में बरी हुआ चंदेश्वर ठाकुर जब 23 साल का था, तब यह केस हुआ था। गिरफ्तारी के बाद उसे जेल भेजा गया था। अब 67 की उम्र में न्यायालय से साक्ष्य के अभाव में उसे बरी किया गया है।

तीन अगस्त 1981 को दर्ज हुई थी एफआईआर :

सदर थाने में पदस्थापित तत्कालीन एएसआई बीएन चौधरी के प्रतिवेदन पर तीन अगस्त 1981 को एफआईआर दर्ज हुई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि तीन अगस्त 1981 को सुबह 10.45 बजे गोपनीय सूचना पर पुलिस टीम के साथ दिघरा गांव में छापेमारी की गई। आरोपित सरयुग ठाकुर के घर की तलाशी ली गई, जिसमें दक्षिण की ओर वाले कमरे के अंदर से कपड़े से ढका हुआ एक अर्धनिर्मित देसी रिवॉल्वर, एक लोहे की बैरल, एक लोहे का मुठरा, एक बट, एक डाई आदि सामान जब्त किया गया। केस के नामजद आरोपित सरयुग ठाकुर का नाम 12 अगस्त 2024 को केस से हटा दिया गया, जबकि आरोपी रामाशीष ठाकुर लगातार अनुपस्थित है। उसका केस रिकॉर्ड अलग कर दिया गया है। जिला अभियोजन पदाधिकारी डॉ. एके हिमांशु का कहना है कि लगातार प्रयास के बावजूद पुलिस की ओर से न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कराया गया।

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