सेरेब्रल पाल्सी के शिकार अनुभव की कविता को नेशनल बुक ट्रस्ट में जगह
‘मुझे वह सारे रंग पसंद है जो मेरी नानी को पसंद थे। लाल नारंगी हरे पीले बिल्कुल चटकीले रंग।। जिन रंगों के कपड़े पहनाकर वह कहती थी मुझे मेरा राजा...
मुजफ्फरपुर। वरीय संवाददाता
‘मुझे वह सारे रंग पसंद है जो मेरी नानी को पसंद थे। लाल नारंगी हरे पीले बिल्कुल चटकीले रंग।। जिन रंगों के कपड़े पहनाकर वह कहती थी मुझे मेरा राजा बाबू..। कितने रंग सहेज रखे थे मेरी नानी ने अपने में। उनकी दिव्य हंसी की धवल का गहरी भूरी आंखें। जो थकते नहीं थे मेरे लिए दुआएं करते ।। उनके मसाले वाले हाथ जो कभी हल्दी तो कभी मेहंदी से होते थे सने। आज भी नानी को याद करके पहन लेता हूं, उनके खरीदे कपड़े और ढूंढता हूं वे सारे रंग उसकी तस्वीर में..। शहर के लाल अनुभव की यह कविता कोरोना के बीच बदरंग होते जीवन में रंग भरने की कोशिश है, जिसे नेशनल बुक ट्रस्ट में जगह मिली है। उसकी इस उपलब्धि ने जिले का मान बढ़ाया है।
माड़ीपुर निवासी अनुभव सेरेब्रल पाल्सी बीमारी का शिकार है। लोगों की नजरों में भले ही उसके लिए सहानुभूति का भाव दिखता है, पर उसकी नजरों में सतरंगी सपने हैं और इस सपनों को वह इस लॉकडाउन और कोरोना के बीच लेखन में डाल रहा है। उसके लेखन को नेशनल बुक ट्रस्ट ने अपनी पुस्तक में जगह दी है। अभी के माहौल में जहां सामान्य बच्चे तनाव और चिड़चिड़ेपन का शिकार हो रहे हैं, वहीं अनुभव की कविता नेशनल बुक ट्रस्ट के लीडर्स बुलेटिन में छपकर प्रेरणा दे रही है। अनुभव की मां डॉक्टर आरती कहती हैं कि दिव्यांगता की वजह से कई सारी अड़चनें और मुश्किलें उसके जीवन में हैं, पर इन मुश्किलों को रचनात्मकता के माध्यम से दूर करने की कोशिश मैं और मेरा बच्चा दोनों कर रहे हैं। 11वीं में पढ़ने वाला अनुभव कहता है कि भले ही मैं शरीर से बीमार हूं, पर मेरा दिमाग बीमार नहीं है और जब मेरा दिमाग बीमार नहीं है तो मैं बेहतर करने की कोशिश कर सकता हूं।
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