दुष्कर्म पीड़िता की बच्ची की डीएनए जांच की नहीं भेजी रिपोर्ट, पॉक्सो कोर्ट ने दिया आदेश
पटना के एफएसएल निदेशक से विशेष पॉक्सो कोर्ट ने आदेश दिया है कि वह पांच हजार रुपये का शुल्क भरे। मामला 2019 में पारू की 15 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता से जुड़ा है, जिसने एक बच्ची को जन्म दिया। कोर्ट ने...
मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। पारू में पांच साल पहले नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के मा बनने के मामले में पटना एफएसएल के निदेशक से पांच हजार रुपये शुल्क वसूली का विशेष पॉक्सो कोर्ट-2 के न्यायाधीश प्रशांत कुमार झा ने आदेश दिया है। न्यायाधीश ने गुरुवार को जारी आदेश में शुल्क वसूली के साथ पटना एफएसएल के निदेशक से तीन बिंदुओं पर जवाब तलब किया है। शोकॉज की नोटिस जारी करते हुए चेतावनी दी गई है कि निदेशक जवाब दें कि कोर्ट के आदेश की अवहेलना के लिए उनके खिलाफ कानूनी प्रोसीडिंग क्यों नहीं चलाई जाए।
विशेष लोक अभियोजक अजय कुमार ने बताया कि पारू के एक गांव की 15 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता छात्रा की मां के बयान पर पॉक्सो एक्ट के तहत पारू थाना में 1मई 2019 को एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें पुलिस को बताया था कि 13 मई 2019 को पीड़िता स्कूल से पढ़कर आई और जलावन लेने के लिए बथान पर चली गई। इसी दौरान पड़ोस का आरोपित युवक रंजन कुमार पीछे से आकर छात्रा को पकड़ लिया। चाकू भिड़ाकर छात्रा का हाथ पांव बांधकर दुष्कर्म किया। साथ ही धमकी दी कि अगर यह बात किसी को भी बताई तो वह छात्रा की हत्या कर देगा। डर से छात्रा ने यह बात किसी को नहीं बताई और घटना के बाद आरोपित रंजन पंजाब भाग गया। करीब एक माह के बाद छात्रा के पेट में दर्द की शिकायत होने लगी। परिजनों ने एक माह तक छात्रा का इलाज कराया लेकिन दर्द ठीक नहीं हुई तो चिकित्सक ने अल्ट्रासाउंड कराया। इसमें छात्रा के 70 दिनों की गर्भवती होने की पुष्टि हुई। रिपोर्ट देखकर छात्रा का पूरा परिवार सदमे में चला गया। पूछताछ में छात्रा ने रंजन के द्वारा किए गए दुष्कर्म की कहानी बताई। इसके बाद गांव में पंचायती हुई। इसमें पंचों ने आरोपित रंजन के परिवार को छात्रा से शादी करने का प्रस्ताव रखा लेकिन रंजन के पिता चंदेश्वर महतो ने छात्रा को बहू के रूप में स्वीकार करने से इंकार कर दिया। तब छात्रा की मां ने थाना में एफआईआर दर्ज कराई। मामले जांच चलती रही और इस बीच छात्रा ने एक बच्ची को जन्म दिया। तब पुलिस पर दबाव पड़ा और आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। 18 अप्रैल 2022 से आरोपित रंजन इस कांड में जेल में बंद है। हाइकोर्ट ने इस मामले में पॉक्सो कोर्ट को स्वीडी ट्रायल चलाकर मामले के निष्पादन का आदेश दिया है। सभी गवाहों का बयान दर्ज हो चुका है।
डीएनए जांच से स्पष्ट होगा कि आरोपित बच्ची का पिता है या नहीं :
विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि एनडीए रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि जन्मी बच्ची आरोपित रंजन की ही संतान है। डीएनए जांच के लिए रंजन के वकील ने कोर्ट से मांग की थी। जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने 11 जुलाई 2023 को बच्ची और आरोपित के खून का नमूना लेकर जांच के लिए एफएसएल पटना भेजा था। इसके बाद कोर्ट ने पटना एफएसएल के निदेशक को नौ फरवरी 2024, 12 अगस्त 2024 और 30 सितंबर 2024 को रिमाइंडर पत्र भेजा। जिसका कोई जवाब निदेशक ने नहीं दिया। कई बार विशेष लोक अभियोजक भी निजी स्तर पर निदेशक को कॉल की लेकिन उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया।
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