हर महीने सफाई पर लाखों खर्च फिर भी स्कूलों में गंदगी का अंबार
मुजफ्फरपुर के स्कूलों में लाखों खर्च के बावजूद गंदगी बनी हुई है। जांच में कई शिक्षक दूसरे स्कूलों के वित्तीय प्रभार संभालते पाए गए हैं। वार्षिक परीक्षा की कॉपियां भी बिना जांचे मिलीं हैं। शिक्षकों और...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। हर महीने सफाई पर लाखों खर्च के बाद भी स्कूलों में गंदगी का अंबार है। जांच में मामला सामने आने के बाद हाउसकीपिंग एजेंसी से जवाब मांगते हुए काली सूची में डालने का निर्देश दिया गया है। स्कूलों की जांच में अजग गजब खेल सामने आया है। किसी स्कूल में दूसरे स्कूल के शिक्षक वित्तीय प्रभार संभालते मिले तो कहीं नौवीं की वार्षिक परीक्षा की कई विषयों की कॉपियां बिना जांचे ही मिली। इसको लेकर बीईओ-हेडमास्टर से स्पष्टीकरण मांगा गया है। शिक्षकों से भी जवाब तलब किया गया है। राजकीय बुनियादी विद्यालय कमलपुरा में डीईओ ने जांच की, जिसमें विद्यालय परिसर में साफ-सफाई की काफी कमी पायी गयी।
प्रभारी प्रधानाध्यापक द्वारा बताया गया कि विद्यालय के वित्तीय प्रभार में दूसरे विद्यालय के जिला सम्वर्ग के सहायक शिक्षक हैं। जबकि, फरवरी में निर्देश दिया गया था कि एक सप्ताह के बाद अगर किसी विद्यालय के वित्तीय कार्य संचालन में किसी अन्य विद्यालय के नियमित प्रधानाध्यापक या नियमित शिक्षक को पाया जाता है तो संबंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा। पंजी के अनुसार कुल 272 छात्र-छात्राओं की उपस्थिति दर्ज है, जबकि भौतिक रूप से 163 छात्र-छात्रा उपस्थित पाये गए। भौतिक रूप से उपस्थित छात्र-छात्राओं की संख्या से अधिक उपस्थिति पंजी में दर्ज कर मध्याह्न भोजन के चावल एवं परिवर्तन मूल्य की राशि में गबन की भी आशंका है। शिक्षक 22 मगर कक्षा चल रही थी केवल चार एक अन्य स्कूल राजकीयकृत सार्वजनिक प्रवेशिका उच्च माध्यमिक विद्यालय कमलपुरा में जांच के दौरान विद्यालय में मात्र चार कक्ष में वर्ग संचालन पाया गया। जबकि, यहां 22 शिक्षक नियुक्त हैं। विद्यालय में कुल नामांकित 655 बच्चों के विरुद्ध भौतिक रूप से 177 बच्चे ही उपस्थित पाये गये। 9वीं ही नहीं, 11वीं की कॉपियां भी नहीं जांची गई वर्ग 9वीं व 11वीं की वार्षिक परीक्षा की उत्तरपुस्तिका की जब जांच की गई तो पाया गया कि विद्यालय अध्यापक (9-10 विषय अंग्रेजी) और विद्यालय अध्यापक (11-12 विषय-राजनीति विज्ञान) द्वारा वार्षिक परीक्षा की उत्तरपुस्तिका नहीं जांची गई है। प्रभारी प्रधानाध्यापक के साथ ही इन विद्यालय अध्यापकों से भी साक्ष्य आधारित स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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