हिंदी के लेखकों का दायित्व भी बड़ा : डॉ. मधुकर
मुजफ्फरपुर में नटवर साहित्य परिषद द्वारा मासिक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. महेन्द्र मधुकर को ‘विधा वाचस्पति सम्मान’ से सम्मानित किया गया। कवियों ने अपने काव्य पाठ से दर्शकों का मन...
मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। श्री नवयुवक समिति के सभागार में रविवार को नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन पटना की ओर से ‘विधा वाचस्पति सम्मान से सम्मानित साहित्य मनीषी डॉ. महेन्द्र मधुकर का परिषद की ओर से अभिनन्दन किया गया।
कवि गोष्ठी की शुरुआत आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री के गीत से हुई। अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. महेन्द्र मधुकर ने कहा कि हम हिंदी के लेखक हैं तो हमारा दायित्व भी बड़ा है। संस्कृत भाषा राजतंत्र की भाषा थी और हिंदी लोकतंत्र की भाषा है। यह सिद्धों और संतों की भाषा है जो बड़े संघर्ष को झेलकर यहां तक पहुंची है। इस दौरान डॉ. विजय शंकर मिश्र ने ‘दीप की पहचान रातभर जलने में... तो शायर डॉ. नर्मदेश्वर मुजफ्फरपुरी ने गजल ‘भूखे से भगवान की बाते, रहने दो ये ज्ञान की बाते , पहले हाथ में रोटी तो रख, फिर करना ईमान की बाते.. को सुनाया। शायर डॉ. सिबगततुल्लाह हमीदी ने ‘वह बलनदी भी शानदार नहीं, गर वह इंसान खाकसार नहीं... और डॉ. जगदीश शर्मा ने ‘चलने की मची होड़, पीछे वाला आगे... सुनाया। रामवृक्ष राम चकपुरी ने ‘बुझे हुए चिरागों के धुंआ कभी, सुलग ज्योति जल जायेगा..., देवव्रत अकेला ने ‘बड़ी मुश्किल से कोई अपनी पहचान बना पाता है, इतिहास के पृष्ठों में अपनी छवि अंकित कर पाता है... तो सविता राज ने ‘गमों में कब कहां कोई यहां दामन बढ़ाता है... सुनाया। शायर महफूज आरिफ, उमेश राज, मोहन कुमार सिंह ने, नरेन्द्र मिश्र समेत अन्य कवियों ने भी अपनी कविताएं सुनाईं। मौके पर अंजनी कुमार पाठक, उषा किरण, डॉ. रमेश कुमार केजरीवाल, प्रमोद नारायण मिश्र, सिद्धि मोहन, रिद्धि मोहन, नन्द किशोर पोद्दार आदि की रचनाएं सराही गईं। मंच संचालन डॉ. विजय शंकर मिश्र व धन्यवाद नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ. नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया।
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