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माह-ए-रमजान बराबरी का दर्जा देने के साथ बढ़ाता है मोहब्बत

माह-ए-रमजान के दूसरे दिन गुरुवार को अकीदतमंद शिद्दत के साथ रोजा रख अल्लाह की इबादत की। शुक्रवार को रमजान के पहले जुमे की नमाज अदा की जाएगी। मौलानाओं...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरThu, 15 April 2021 09:50 PM
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माह-ए-रमजान के दूसरे दिन गुरुवार को अकीदतमंद शिद्दत के साथ रोजा रख अल्लाह की इबादत की। शुक्रवार को रमजान के पहले जुमे की नमाज अदा की जाएगी। मौलानाओं ने सभी अकीदतमंदों से कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ घरों में ही जुमा की नमाज अदा करने की अपील की है।

मर्कजी खानकाह आबादानिया व एदारा ए तेगिया, माड़ीपुर के गद्दनशीं व संरक्षक शाह अल्वीयुल कादरी ने बताया कि इस वक्त कोरोना संक्रमण के जो हालात हैं। उसमें हर छोटे से लेकर बड़ों तक को एहतियात बरतने की जरूरत है। कहा कि सहरी व इफ्तार अपने परिवार के सदस्य के साथ ही मिलकर करे। माह-ए-रमजान मुसलमानों को बराबरी का दर्जा देता है। इस माह में अमीर-गरीब के बीच की खाई भर जाती है। रोजेदार रोजा रखकर भूख-प्यास को सहकर गरीबों के दर्द का एहसास करते हैं। यह माह लोगों की आपसी मोहब्बत को बढ़ाता और भाईचारे का पैगाम देता है। यह रमजान मुसलमानों के लिए मौसम-ए-बहारा होता है और हर खुबियों का मालिक है। इसमें इंसान का रिस्क बढ़ा दिया जाता है। अल्लाह ने बंदों को अपने करीब रखने के लिए इस महीनों को बनाया है। वह बंदों को जहन्नुम के आग से बचाना चाहते हैं। पूरे माह बंदे अल्लाह की इबादत पूरी शिद्दत के साथ करते हैं और गुनाहों से तौंबा करते हैं। पूरे ईमान से रोजा रखने पर अल्लाह रोजेदार के पिछले तमाम गुनाहों को माफ कर देता है।

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