बाजारवाद के युग में संवेदनाओं की संजीवनी ''हमन है इश्क मस्ताना''
मुजफ्फरपुर में डॉ. भावना द्वारा संपादित 'हमन है इश्क मस्ताना' पुस्तक का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम में साहित्यकारों ने प्रेम के महत्व पर चर्चा की। डॉ. भावना ने बताया कि इस संग्रह में 109 गजलकारों की...
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मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। साहित्य गाथा की ओर से गुरुवार को डॉ. भावना द्वारा संपादित इक्कीसवीं सदी की प्रेम गजलें ''हमन है इश्क मस्ताना'' का लोकार्पण किया गया।
जीरोमाइल स्थित आंच वेब पत्रिका के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में शहर के साहित्यकारों की मौजूदगी रही। डॉ. रवींद्र उपाध्याय ने कहा कि प्रेम जिंदगी में शामिल है और साहित्य का प्रतिबिंब है। डॉ. रामेश्वर द्विवेदी ने कहा कि प्रेम दुनिया का सबसे बड़ा जादू है। डॉ. जियाउर रहमान जाफरी ने कहा कि प्रेम को आंख से और आंख को प्रेम से अलग नहीं किया जा सकता। आज स्त्री न सिर्फ प्रेम बल्कि जीवन का सुख-दुख और दुनियादारी भी अपनी गजलों के माध्यम से व्यक्त करती है। राहुल शिवाय ने कहा कि जब भी कविताओं की बात चली हमने अपने किनारे चुन लिये, हमारा संबंध कविता से वही है, जो संबंध मातृभूमि से है। डॉ. पूनम सिंह ने कहा कि युवा पीढ़ी गीत गजल में मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही है। डॉ. संजय पंकज ने तमाम वितंडावाद के बीच प्रेम को शाश्वत और मूल्यवान माना। पुस्तक की संपादक डॉ. भावना ने कहा कि हमन है इश्क मस्ताना में 109 गजलकार को शामिल किया गया है। अमीर खुसरो से निराला, दुष्यंत के बाद की पीढ़ी और युवा पीढ़ी की गजलें इस संग्रह में हैं। आज के मशीनी युग और बाजारवाद में जिस तरह हमारी संवेदनाओं का ह्रास हो रहा है, ऐसे समय में यह संग्रह संजीवनी का काम करेगा।
इस मौके पर डॉ. सरोज वर्मा, डॉ रमेश ऋतंभर, डॉ देवव्रत अकेला ने भी अपने विचार रखे। दूसरे सत्र में कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें कवियों ने अपनी रचनाओं से तालियां बटोरीं। डॉ सरोज कुमार वर्मा ने दिल की देहरी पर देती सदा कौन है, उदय शंकर सिंह उदय ने ये धूप इस मकां पे ऐसी न चढ़ी है, डॉ कुमारी अनु ने तुम में तेरी तलाश कर लूं, शायद कहीं तुम मिल जाओ.. कविता को श्रोताओं ने काफी सराहा। कार्यक्रम में डॉ अनिल कुमार की विशेष मौजूदगी रही। अतिथियों का स्वागत डॉ पंकज कर्ण, संचालन विजय और संयोजन अविनाश भारती ने किया।
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