यहां गांधी जी के सपने भी ‘खंडहर में तब्दील

यह है बापू के सपनों का बुनियादी स्कूल तुर्की। स्कूल के भवन की उम्र लगभग सात दशक होने के कारण इसकी बेनूरी का मतलब तो समझ में आता है मगर यहां तो गांधी के सपने भी ‘खंडहरनुमा होते जा रहे हैं। बच्चे...

हिन्दुस्तान टीम मुजफ्फरपुरSat, 29 Sep 2018 04:54 PM
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यह है बापू के सपनों का बुनियादी स्कूल तुर्की। स्कूल के भवन की उम्र लगभग सात दशक होने के कारण इसकी बेनूरी का मतलब तो समझ में आता है मगर यहां तो गांधी के सपने भी ‘खंडहरनुमा होते जा रहे हैं। बच्चे महात्मा गांधी के जन्म का साल 1947 बताते हैं। शिक्षक सिलेबस का दायरा को लक्ष्मण रेखा मान बच्चों को पाठ्य पुस्तक से इतर गांधी जी के बारे में बताना लाजिमी नहीं समझते।

अभी भी इस स्कूल को लोग सामान्य स्कूलों से अलग नजरिया से देखते हैं। कहते हैं आखिर इसकी स्थापना महात्मा गांधीजी ने जो की थी। गांधीजी के विचारों की प्रासंगिकता भले कम नहीं हुई मगर सरकारी व्यवस्था ने इन स्कूलों की उपयोगिता पर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं।

अब इन स्कूलों में कुछ ऐसा नहीं होता है जिससे यह कहा जा सके कि यहां गांधी के विचार पल्लवित होते हैं। बुनियादी स्कूलों में अभी भी स्वरोजगार के लिए बच्चों को विशेष रूप से प्रशिक्षित करना है। सामाजिक मूल्यों का पाठ पढ़ाना है। मगर हस्र उन्हीं सामान्य स्कूलों के जैसा। मिड डे मील के लिए मारामारी। पोशाक राशि के लिए बवाल। किताब के लिए महीनों का इंतजार और कागजी खानापूर्ति के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर साहबों तक से ‘समझौता।

शिक्षकों ने कहा सिलेबस में नहीं हैं गांधी जी

गांधी जी से जुड़ी जानकारी की शून्यता के सवाल पर शिक्षकों ने कहा कि सरकारी मानकों को पूरा करने का भारी दबाव होता है। सिलेबस की चीजें पढ़ाने में पूरा समय निकल जाता है। गांधी जयंती के अवसर पर उनके बारे में बताया जाता है।

69 साल पुराना है तुर्की का बुनियादी स्कूल

कुढ़नी प्रखंड के तुर्की में बुनियादी स्कूल की स्थापना 1949 में हुई थी। चंपारण के साथ ही तिरहुत प्रमंडल के अन्य जिलों में तेजी से इसका प्रसार हो रहा था। बाद में तो देश के अन्य हिस्सों में बुनियादी स्कूलों की स्थापना की गई थी। ऐसे तो यादें भी खत्म हो जाएगी बुनियादी स्कूल की बुनियादी स्कूल का मूल भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। उसके ठीक पीछे स्कूल का बड़ा भवन बना दिया गया है। स्थानीय लोगों की मानें तो इस भवन को भी ठीक कराया जाना चाहिए था। भवन खत्म होने के बाद तो इसकी यादें भी खत्म हो जाएंगी।

गांधी जी के स्कूल में ही बच्चे नहीं जानते गांधी जी को

बुनियादी विद्यालयों में गांधी जी के बारे में बच्चे कुछ भी नहीं जानते हैं। पचास में से मुश्किल से दो बच्चे गांधी जी का आधा-अधूरा नाम बता पाए। गांधी जी की पत्नी का नाम तो किसी ने नहीं बताया। चार विकल्प देने पर भी कस्तूरबा किसी ने नहीं कहा। गांधी जी के कितने बंदर पर जबाव एक से दस के बीच की सारी संख्या बारी-बारी से बता गिना डाली।

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