भरत जैसा भाई दुनिया में नहीं हो सकता: स्वामी सीताराम शरण
मुजफ्फरपुर में नौ दिवसीय श्रीरामचरित मानस कथा का अंतिम दिन मनाया गया। कथावाचक स्वामी सीताराम शरण महाराज ने भरत और श्रीराम की भावुक भेंट का वर्णन किया। मेयर निर्मला साहू ने कार्यक्रम में भाग लिया और कई...
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मुजफ्फरपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। सतपुरा पोखरिया पीर मंगल स्थान में चल रहे नौ दिवसीय श्रीरामचरित मानस कथा व संगीतमय प्रवचन कथा के अंतिम दिन रविवार को कथावाचक स्वामी सीताराम शरण महाराज ने कहा कि राजा दशरथ के देहांत के बाद जब भरत ननिहाल से अयोध्या पहुंचे तो पूरी अयोध्या शोक में डूबी हुई थी। महल में आने पर पूरी घटना का उन्हें पता चला। जब वे माता कैकेयी के पास पहुंचे तो उन्होंने भरत को अयोध्या का राज संभालने को कहा। तब भरत क्रोध में बोले कि मुझे इस अयोध्या का राजा तो क्या अगर तीनों लोक का राजा भी बनाओगी तो भी मैं ठुकरा दूंगा और राम को मनाने चले जाते हैं। श्रीराम ने कहा कि भरत जैसा भाई इस दुनिया में हो ही नहीं सकता। इतना बोलकर भरत को गले लगा लेते हैं। चित्रकूट में भगवान राम और भरत का मिलाप हुआ। भरत श्रीराम की चरण पादुका लेकर अयोध्या लौट जाते हैं।
अंतिम दिन मेयर निर्मला साहू उपस्थित हुईं। जिनका स्वागत धर्म जागरण समन्यव उत्तर बिहार व बिहार सांस्कृतिक विकास परिषद के सचिव कृष्ण कुमार मिश्र एवं कथा सहसंयोजक रामेश्वर पासवान ने अंगवस्त्र एवं फूल मालाओं से किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में विपिन कुमार सिंह, रंजीत कुमार चौधरी, नंदकिशोर गुप्ता, सुनील कुमार, धर्मेंद्र कुमार पासवान, प्रभु साह, सोनू कुमार, ललन कुमार, संजय पासवान, कृष्ण नंदन प्रसाद, चंदन कुमार, राघवेन्द्र कुमार अधिवक्ता, चितरंजन कुमार, मोहन कुमार गुप्त, सुनील कुमार पाठक, मुकेश चौधरी, योगेंद्र उपाध्याय, सुनील कुशवाहा, प्रभु साह आदि शामिल हैं।
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