ऐतिहासिक शोध विधियों का आकलन जरूरी
एलएस कॉलेज के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग में डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेमोरियल लेक्चर आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में इतिहासकार डॉ. प्रभात कुमार शुक्ला ने ऐतिहासिक शोध विधियों के महत्व पर जोर दिया और...
मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। एलएस कॉलेज के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के तत्वावधान में मंगलवार को डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेमोरियल लेक्चर का आयोजन किया गया। इसका विषय मेथोडोलॉजी इन हिस्टॉरिकल रिसर्च था।
शोध के विभिन्न आयाम पर प्रकाश डालते हुए इतिहासकार डॉ. प्रभात कुमार शुक्ला ने कहा कि शोधार्थियों को ऐतिहासिक शोध विधियों का आकलन करना चाहिए। ऐतिहासिक शोध विधियों की जानकारी कालानुक्रमिक डेटा, लिखित साक्ष्य, सार्वजनिक रिकॉर्ड, प्रत्यक्षदर्शी विवरण, कानूनी दस्तावेज, शोध ग्रंथों का अध्ययन, समाचार पत्र लेख आदि के गहन और तुलनात्मक अध्ययन की ओर प्रेरित करता है। विषय वस्तु की खूबियां और खामियों को भी जानना जरूरी है। इसके साथ ही वैकल्पिक स्रोत पर भी ध्यान देने की जरूरत है। प्रभावी ऐतिहासिक शोध विधियों के माध्यम से अतीत की घटनाओं के महत्व और बेहतर भविष्य के लिए महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि का संचार किया जा सकता है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल की घटनाओं पर जो शोध हुए हैं, उसके विभिन्न पक्षों का अध्ययन जरूरी होता है। इस तरह के अध्ययन से शोध दृष्टि प्रखर होती है। डॉ. शुक्ला ने वैश्विक स्तर पर विभिन्न इतिहासकारों के मूल ग्रंथों के अध्ययन को जरूरी बताया।
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