एससी-एसटी एक्ट के 942 मामलों में पीड़ितों को चार्जशीट का इंतजार
बिहार में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत 942 मामले ऐसे हैं जिनमें चार्जशीट का इंतजार किया जा रहा है। चार्जशीट न होने से दोषियों को सजा में देरी हो रही है और पीड़ितों को राहत अनुदान...

मुजफ्फरपुर, मुख्य संवाददाता। अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार अधिनियम (एससी-एसटी एक्ट) के तहत सूबे में 942 मामले ऐसे हैं, जिनमें पीड़ितों को चार्जशीट दाखिल होने का इंतजार है। चार्जशीट दाखिल न होने के कारण एक तो दोषियों को सजा मिलने में देरी हो रही है। वहीं, चार्जशीट के बाद पीड़ितों को मिलने वाली राहत अनुदान की राशि लटकी हुई है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के सचिव ने सूबे में लंबित पड़े मामलों की सूची जारी की है। सचिव ने सभी जिलों के डीएम से मामले में त्वरित कार्रवाई कराने का निर्देश दिया है।
विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि सूबे में कुल 136 मामलों में एफआईआर पर आदेश पत्र जारी नहीं हुआ है। वहीं, 396 मामलों में एफआईआर के बाद मिलने वाले अनुदान को स्वीकृत नहीं किया गया है। इसके अलावा 126 मामले में चार्जशीट पर आदेश पत्र जारी नहीं हो सका है, जबकि 284 मामलों में चार्जशीट के बाद मिलने वाली अनुदान का अंश रुका हुआ है। जारी रिपोर्ट के अनुसार, एससी-एसटी एक्ट के तहत सबसे अधिक गया में 92 मामले लंबित हैं, जबकि पटना जिले में 35 में इस तरह की रुकावट बनी हुई है। मुजफ्फरपुर में 10 पीड़ितों को अनुदान के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। अन्य जिलों की बात करें तो बेतिया में 62, बेगूसराय में 58, खगड़िया में 50, रोहतास में 50, समस्तीपुर में 49, नालंदा में 44, सीवान में 43, पूर्णिया में 41, सहरसा में 38, गोपालगंज में 35, मोतिहारी में 29, बक्सर में 26, सीतामढ़ी में 25, सारण में 24, दरभंगा में 18, जहानाबाद में 18, मधुबनी में 18, मधेपुरा में 17, नवादा में 16, भोजपुर में 13, मुंगेर में 13, औरंगाबाद में 12, भागलपुर में 12, कटिहार में 12, बांका में 10, सुपौल में 10, वैशाली में 10, अररिया में 10, शेखुपुरा में आठ, कैमूर में सात, किशनगंज में सात, अरवल में चार, शिवहर में तीन व लखीसराय में दो मामले एफआईआर या चार्जशीट के स्तर पर अनुदान के लिए लंबित हैं।
हत्या, बलात्कार और अगलगी के 4598 मामले सूबे में लंबित :
विभाग के निदेशक ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के खिलाफ अत्याचार के कुल लंबित मामलों को लेकर अलग से ब्योरा जारी किया है। इसके अनुसार, राज्य में इस अधिनियम के तहत कुल 4598 मामले लंबित हैं। निदेशक ने सभी डीएम को इनमें त्वरित कार्रवाई कराने का निर्देश जारी किया है, ताकि दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई हो और पीड़ितों को न्याय मिल सके। रिपोर्ट के अनुसार पांच जिले ऐसे हैं, जहां हत्या कांड में एससी-एसटी एक्ट लगाने के मामले महीनों से लंबित रखे गए हैं। इन पांच जिलों में अरवल, गया, बेगूसराय, कटिहार और रोहतास शामिल हैं, जबकि हत्या की एफआईआर में एससी-एसटी एक्ट जुड़ने के बाद चार्जशीट के मामले गया में दो, मधेपुरा में दो, और दरभंगा, अरवल, खगड़िया, मधुबनी, रोहतास और दरभंगा में एक एक मामला लंबित है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।