सफदर हाशमी के शहादत दिवस पर नाटकों का मंचन
मुजफ्फरपुर में सफदर हाशमी के शहादत दिवस का आयोजन हुआ। नाट्य निर्देशक स्वाधीन दास ने नुक्कड़ नाटक के महत्व पर जोर दिया। कार्यक्रम में नशाखोरी और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर नाटक प्रस्तुत किए गए।...
मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। नुक्कड़ नाटक के प्रणेता सफदर हाशमी के शहादत दिवस का आयोजन रविवार को मालीघाट स्थित चुनाभाट्टी रोड में सफदर सांस्कृतिक जमघट के बैनर तले किया गया।
नाट्य निर्देशक स्वाधीन दास ने कहा कि सफदर हाशमी नुक्कड़ नाटक के प्रणेता थे। हमें नुक्कड़ नाटक के अर्थ को समझते हुए जनता के बीच जाकर जन समस्याओं पर आधारित नाटकों को प्रस्तुत करना चाहिए ताकि मनोरंजन के साथ-साथ जनवादी आंदोलन के बीज को वृहत आकार के वृक्ष में तब्दील किया जा सके। उसके बाद जागृति बैरिया के साथियों ने ऐ शहीदों मुल्कों मिल्लत लीजिये, मेरा सलाम की प्रस्तुति देकर सफदर के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रो. कृष्णनंदन सिंह ने कहा कि उनके द्वारा लिखित नाटकों से पूंजीवाद की जड़े हिल जाती थीं। मालीघाट इकाई की कार्यालय सचिव पूजा एवं रूपा कुमारी ने जनगीत की प्रस्तुति देकर जनता के दर्द को उकेरा।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में नाटकों एवं जनगीतों का मंचन हुआ, जिसमें बिहार राज्य जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा विकल्प कि नवोदित इकाई के नन्हें मुन्हें बाल कलाकार साथियों ने नाटक सपनों की उड़ान की प्रस्तुति देकर समाज में व्याप्त नशाखोरी, जुआ व घरेलू हिंसा को उजागर किया। किलकारी बाल संगठन के कलाकार साथियों ने प्रकृति पर केंद्रित नाटक हँस रहे हैं हम प्रकृति को तबाह करके की प्रस्तुति दी और पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया। इसका निर्देशन राजू सहनी ने किया।
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