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कुम्हला रहे फूलों के कारोबारी, बाजार और सुविधाएं मिलें तो दूर हो दुश्वारी

इमलीचट्टी थोक फूल मंडी में पांच सौ से अधिक दुकानें हैं। सालाना 10 करोड़ तक का कारोबार होता है। इसके बावजूद इलाके में सुविधाओं का अभाव है। व्यवसायियों न

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरFri, 21 Feb 2025 07:01 PM
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कुम्हला रहे फूलों के कारोबारी, बाजार और सुविधाएं मिलें तो दूर हो दुश्वारी

मुजफ्फरपुर। इमलीचट्टी थोक फूल मंडी में सुबह चार बजे से उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों के व्यापारियों की भीड़ जुटने लगती है। फूल विक्रेताओं का कहना है कि शहर में सालाना आठ से दस करोड़ तक के फूलों का कारोबार होता है, मगर पिछले तीस वर्षों से एक व्यवस्थित बाजार को तरस रहे हैं। इनका कहना है कि सड़क किनारे दुकान सजाने पर नगर प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान उजाड़ दिया जाता है। अतिक्रमणकारी के नाम पर चालान काटा जाता है। बताया कि यहां पर मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। व्यापारियों को सरकारी बस स्टैंड या स्टेशन पर शौचालय के लिए जाना पड़ता है। फूल विक्रेताओं का कहना है कि नगर प्रशासन अगर हमलोगों को एक व्यवस्थित बाजार उपलब्ध करा दे तो यह मंडी उत्तर बिहार ही नहीं, पूरे बिहार में प्रसिद्ध होगी और रोजगार भी बढ़ेगा।

विक्रेताओं के अनुसार फूलों का कारोबार अभी घाटे का सौदा हो गया है। महंगे दाम पर फूल मंगाते हैं, लेकिन भंडारण के लिए संसाधन नहीं होने से फूल कुम्हलाकर खराब हो जाते हैं, जिससे नुकसान उठाना पड़ता है। दूसरी ओर, रेलवे की ओर से भी देरी कर दी जाती है। बंगाल से फूल लाने में विलंब के कारण ग्राहकों को समय से फूल नहीं उपलब्ध करा पाते हैं। ऑर्डर का माल डंप हो जाने पर भारी नुकसान उठाना पड़ता है। बताया कि इमलीचट्टी में सुबह चार बजे से व्यापारियों का आना शुरू हो जाता है, जबकि रेलवे सात बजे से पहले फूल नहीं उपलब्ध कराता है। समय से फूल मंगाने के लिए हमें पिकअप भाड़ा करना पड़ता है,जिसका खर्च देने में व्यापारी आनाकानी करते हैं। हमलोगों को बैंकों से सस्ती दर पर ऋण भी उपलब्ध नहीं कराया जाता कि नुकसान होने पर कारोबार को संभाल सकें।

बैंक से लोन मिलने में परेशानी :

फूल विक्रेताओं ने बताया कि उन्हें बैंकों से लोन लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मजबूरन महाजन से कर्ज लेकर दुकान लगाते हैं। बताया कि अब फूलों की बिक्री पहले जैसी नहीं होती। घर खर्च चलाने के लिए किसी के साथ बुकिंग में सजावट का काम करने के लिए निकल पड़ते हैं। वहां से जो पैसे मिलते हैं, उससे काम चलाते हैं। कहा कि अगर सरकारी योजना से सस्ती दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाए, तो आर्थिक संकट से उबर सकते हैं।

कारीगरों को चाहिए बीमा सुविधा :

शहर में एक हजार से अधिक सजावट करने वाले कारीगर हैं, मगर इन्हें फूल विक्रेताओं पर ही निर्भर रहना पड़ता है। कारीगरों के मुताबिक लग्न के समय तो उनका परिवार चल जाता है, मगर उसके बाद पैसों के लिए मोहताज रहना पड़ता है। कारीगरों ने बताया कि कई लोग आजीविका के लिए दूसरे पेशे को अपना लिए हैं। इमलीचट्टी के फूल कारीगर विनोद मालाकार ने बताया कि हमलोग जोखिमभरा काम करते हैं। सजावट के लिए बुकिंग पर जाने के दौरान रास्ते में दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। अगर सरकार के स्तर से दुर्घटना बीमा का लाभ दिलाया जाए तो मदद मिलेगी।

बाहर से मंगाते हैं फूल दूर हो भंडारण की चिंता :

इमलीचट्टी के फूल विक्रेता संतोष मालाकार, अवधेश सिंह, राकेश भंडारी आदि का कहना है कि ये लोग तीन दशक से यहां फूलों की थोक दुकान चला रहे हैं। बताया कि शहर में दो सौ से अधिक मंदिर हैं। सभी जगह फूलों की मांग रहती है। इसके अलावा बुके और शादी में सजावट के लिए फूलों की मांग अधिक रहती है। प्रतिदिन बंगाल, बेंगलुरु और दिल्ली से फूल मंगाते हैं। इनका कहना है कि सरकार अगर हमलोगों को इसके भंडारण की उचित व्यवस्था करवा दे तो फूलों का कारोबार घाटे का सौदा नहीं रह जाएगा। फूल व्यवसायियों ने यह भी मांग की कि यहां के किसानों को फूलों की खेती के लिए सरकारी स्तर पर प्रेरित किया जाए तो यहां के किसानों के साथ-साथ फूल व्यवसायियों को भी अच्छी आमदनी होगी। बताया कि गेंदा के फूल की खेती किसान मुजफ्फरपुर, वैशाली आदि जिलों में करते हैं, मगर उस फूल की गुणवत्ता बंगाल के फूलों की तुलना में कम रहती है। संबंधित विभाग के स्तर पर इस दिशा में पहल की जाए तो यहां के फूलों की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है। मोनू यादव, लक्ष्मण महतो, रमण किशोर सहित कई फूल कारोबारियों की यह भी शिकायत थी कि जब से स्मार्ट सिटी का काम शुरू हुआ है, तब से मंडी अस्त-व्यस्त हो गई है। नगर प्रशासन की उपेक्षा के कारण व्यवसायियों को अब तक व्यवस्थित जगह नहीं मिल पाई। बताया कि विभिन्न जिलों के व्यापारियों का आना-जाना रहने के बाद भी इस मंडी के विकास के लिए प्रशासन के स्तर पर कोई पहल नहीं की गई। हाल यह है कि शौचालय और यूरिनल तक के लिए बाहर से आए व्यापारी इधर-उधर भटकते रहते हैं।

वेंडिंग जोन में शिफ्ट कराने की प्रक्रिया जारी :

विभागीय दिशा-निर्देश के आलोक में शहर के असंगठित फूल विक्रेताओं को व्यवस्थित तरीके से वेंडिंग जोन में शिफ्ट कराने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इसको लेकर नगर आयुक्त को निर्देश दिया जाएगा, ताकि छोटे-छोटे फूल विक्रेताओं को व्यवस्थित तरीके से करोबार करने में किसी तरह की कोई असुविधा न हो।

-निर्मला साहू, मेयर

आवेदन करने पर दिया जाएगा लाभ :

फूल कारीगर असंगठित मजदूर की श्रेणी में आते हैं। श्रम विभाग उनके लिए बिहार शताब्दी योजना चला रहा है। इसमें दुर्घटना में मृत्यु पर दो लाख, स्वाभाविक मृत्यु पर 50 हजार, दुर्घटना में घायल होने पर पांच दिन के इलाज का खर्च 10 हजार रुपया उपलब्ध कराता है। इसके अलावा कई लाभ मिलते हैं, जिनके लिए आवेदन करना होगा।

-नीरज नयन, उप श्रम आयुक्त

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