बैंक खाता खुलवाने में हो रही परेशानी यूडीआइडी के लिए लगाने पड़ते चक्कर
मुजफ्फरपुर में दिव्यांग बच्चों को शिक्षा और नौकरी के लिए विशेष प्रावधान हैं, लेकिन उन तक पहुँचने में अड़चनें हैं। यूडीआइडी कार्ड बनाने के लिए पटना की दौड़ लगानी पड़ती है, और बैंक खाता खोलने में भी...
मुजफ्फरपुर। दिव्यांगजनों के लिए शिक्षा से लेकर नौकरी तक में विशेष प्रावधान तो हैं, मगर इनका लाभ लेने में हजारों अड़चनें हैं। जिले में संसाधन के बावजूद इन्हें अपनी पहचान से जुड़े यूडीआइडी कार्ड तक के लिए पटना की दौड़ लगानी पड़ रही है। आर्थिक मदद के रूप में महज 400 रुपए की पेंशन मिलती है। बैंकों के असहयोग के कारण खाता खोलवाना इतना कठिन कि थक-हारकर यह भी नहीं ले पाते। बाबा गरीबनाथ विकलांग सह जनसेवा संस्थान में रह रहे मूक-बधिर बच्चों ने इंस्ट्रक्टर के माध्यम से अपनी कई समस्याएं साझा कीं। कहा कि सुविधाएं मिलें तो हम भी सपनों में रंग भरें। कलमबाग चौक स्थित बाबा गरीबनाथ विकलांग सह जनसेवा संस्थान में 73 मूक-बधिर बच्चे नामांकित हैं। प्रशासनिक स्तर पर अपेक्षित मदद नहीं मिलने से निराश हैं। इन्होंने हावभाव के जरिये अपनी कई समस्याएं साझा कीं, जिन्हें इंस्ट्रक्टर ने विस्तार से बताया। इन बच्चों का कहना था कि आधार कार्ड बनाने में फिंगर और आई स्कैनिंग में भी परेशानी होती है। हमलोगों को डेडिकेटेड काउंटर की भी व्यवस्था नहीं है। यूनिक डिसेबिलिटी आइडी (यूडीआइडी) कार्ड बनाने के लिए जिला स्तर पर संसाधन उपलब्ध रहने के बाद भी पटना जाना पड़ता है। अभिभावक साथ लेकर जाते हैं। तीन-चार बार जाने-आने में काफी पैसे खर्च हो जाते हैं। बताया गया कि एक ओर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को छात्रवृत्ति, पोशाक समेत अन्य योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है, दूसरी ओर इनके लिए वहां पढ़ पाना मुश्किल है, क्योंकि मूक-बधिर होने के कारण ये सामान्य भाषा नहीं समझ सकते। कुछ सामाजिक संस्थानों में इनके पढ़ने की व्यवस्था तो है, लेकिन छात्रवृत्ति व अन्य योजनाओं का लाभ इन्हें नहीं मिलता। शिक्षण संस्थान से लेकर रोजगार और अन्य क्षेत्रों में भी दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएं और छूट का प्रावधान है, लेकिन इसका लाभ दिव्यांगों को सही तरीके से नहीं मिल पा रहा है।
संस्थान में यूपी तक के बच्चे :
बाबा गरीबनाथ विकलांग सह जनसेवा संस्थान में बिहार के विभिन्न जिलों के गरीब परिवार के मूक-बधिर बच्चे रह रहे हैं। उत्तर प्रदेश से भी बच्चे यहां पहुंचे हैं। इन्हें नि:शुल्क शिक्षा, स्पीच थेरेपी, फिजियोथेरेपी, आवासन और भोजन की सुविधा दी जा रही है। बताया गया कि कई बच्चों की यूडीआइडी और बैंक खाता नहीं था। उनके अभिभावक की ओर से पहल की गयी, मगर परेशानी होने पर उन्होंने बीच में ही इसे छोड़ दिया। संस्था के स्तर से पहल के बाद उनका कार्ड बना और बैंक में खाता खुल सका। अभी भी आधा दर्जन से अधिक बच्चों का बैंक खाता नहीं खुल सका है। बैंक की ओर से यह कहकर लौटा दिया गया है कि 18 वर्ष से कम होने के कारण बैंक खाता नहीं खुलेगा। संस्थान के संचालक उपेंद्र चौधरी बताते हैं कि दिव्यांगों को रोजगार के लिए 1.5 लाख तक का लोन मिलता है, लेकिन वह भी पूरी राशि नहीं मिल पाती है। ये बच्चे आत्मनिर्भर हो सकें, इसके लिए ऋण की राशि में बढ़ोतरी करने की जरूरत है।
सामान्य स्कूलों में उपेक्षा से टूटता है मनोबल :
दिव्यांगजनों का कहना है कि आठवीं के बाद सामान्य स्कूलों में जाना पड़ता है। वहां उपेक्षा के कारण उनका आत्मविश्वास कमजोर होता है। ऐसे में उनके लिए विशेष शिक्षण संस्थान की व्यवस्था हो, जहां उनकी दिव्यांगता के अनुसार प्रशिक्षित शिक्षकों को नियुक्त किया जाए। दिव्यांग बच्चों की ओर से इसके लिए सरकार और नि:शक्तता आयोग को भी पत्र भेजा गया है। दूसरी ओर, दिव्यांगों को रेलवे में सफर के लिए रियायती पास बनवाना पड़ता है। सत्यापन की प्रक्रिया में काफी विलंब हो जाता है। इनके कागजात से जुड़े कार्यों के लिए महीने में जिला स्तर पर शिविर लगाया जाना चाहिए।
उच्च शिक्षा के लिए हो अलग बोर्ड का गठन :
बाबा गरीबनाथ विकलांग सह जनसेवा संस्थान में मूक-बधिर बच्चों के आवासन के अलावा पठन-पाठन, प्रशिक्षण, स्पीच थेरेपी, फिजियोथेरेपी समेत अन्य सुविधाएं नि:शुल्क दे रहे हैं। सामाजिक कार्यों से जुड़े लोगों का इसमें सहयोग मिल रहा है। मूक-बधिर बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए सरकार को पहल करनी चाहिए। इनके लिए विशेष रूप से उच्च शिक्षा और रोजगार के लिए अलग बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए, ताकि ये बच्चे भी सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर सकें। यूडीआइडी कार्ड के सत्यापन के लिए दिव्यांग बच्चों को पटना जाना पड़ता है। एक दिन में काम नहीं होने पर उन्हें कई दिन दौड़ लगानी पड़ती है। अगर जिले में महीने में एक दिन शिविर लगाकर यह काम करा दिया जाए तो समस्या नहीं होगी। ट्रेन के रियायती टिकट के लिए भी रेलमंडल का एक अधिकृत अधिकारी यहां हों।
- उपेंद्र चौधरी, संचालक, बाबा गरीबनाथ विकलांग सह जन सेवा संस्थान
बोले जिम्मेदार :
दिव्यांगजनों की समस्याओं को लेकर संबंधित पदाधिकारी को जानकारी दी जा रही है। विभाग को भी मामले से अवगत कराया जाएगा। दिव्यांगजनों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो, इसके लिए पहल की जाएगी।
-प्रमोद कुमार, डीपीआरओ
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