14 को मनाया जाएगा सतुआनी का पर्व
14 अप्रैल को सतुआनी पर्व मनाया जाएगा, जिसमें घरों में कुलदेवता की पूजा की जाएगी और पितरों को तर्पण किया जाएगा। यह दिन मेष राशि में सूर्य के प्रवेश के साथ खरमास की समाप्ति का प्रतीक है। 13 अप्रैल को...

मुजफ्फरपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। आगामी 14 अप्रैल को सतुआनी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन मेष राशि में सूर्य के प्रवेश से खरमास की समाप्ति भी हो जाएगी। इस दिन घरों में कुलदेवता की पूजा कर आटा, सत्तू, आम्रफल, शीतल पेय और पंखा अर्पित करने की परंपरा है।
शहर के ज्योतिष पंडित प्रभात मिश्र ने बताया कि मान्यता है कि इस दिन अपने पितरों को तर्पण कर उनके निमित यथा शक्ति दान करने का भी विधान है। बैसाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि से भगवान बद्रीनाथ की यात्रा की शुरुआत होती है। पद्म पुराण में इस दिन स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। सूर्य के मेष राशि में परिवर्तन करने यानी मेष संक्रांति होने के कारण यह ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होता है। मेष राशि में सूर्य 14 अप्रैल की सुबह 5:01 बजे प्रवेश करेंगे। मान्यता है कि सौर नववर्ष का आरंभ भी इसी दिन से होता है।
13 अप्रैल को मनाई जाएगी वैशाखी
आगामी 13 अप्रैल को वैशाखी मनाई जाएगी। पंडित प्रभात मिश्र ने बताया कि वैशाखी का नाम आते ही कानों में पंजाबी ढोल व भांगड़ा सुनाई देने लगता है। भले ही मस्तिष्क में पंजाबी नृत्य भांगड़ा व गिद्दा करते पुरुष-स्त्रियों की तस्वीर छपने लगे मगर सही मायने में फसलों के पकने का यह उल्लास होता है। यह पर्व सिर्फ पंजाब और हरियाणा में ही नहीं दिखाई देता बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में भी इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। बंगाल में पीला बैसाख तो दक्षिण में बिशु के नाम से जाना जाता हैं। केरल, तमिलनाडु, असम आदि राज्यों में बिहू के नाम से वैशाखी पर्व मनाया जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में भी इस दिन मेलों का आयोजन होता है।
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