सूबे के 50 फीसदी लोग रह रहे पक्के मकानों में
बिहार में 50 प्रतिशत लोग पक्के मकान में रह रहे हैं, जो पिछले आठ वर्षों में 7 प्रतिशत बढ़ा है। 2016 में यह आंकड़ा 43 प्रतिशत था, जो 2024 में 50.8 प्रतिशत तक पहुंच गया। सर्वेक्षण में शिक्षा और आर्थिक...
मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। सूबे के 50 फीसदी लोग पक्के मकान में रह रहे हैं। पक्के मकान में रहने वालों की संख्या में बिहार देश में 16वें स्थान पर है। सूबे में बीते आठ वर्षों में पक्के मकान में रहने वालों का आंकड़ा सात फीसदी बढ़ा है।
असर में शिक्षा के स्तर के जानने के मूल्यांकन के साथ ही विभिन्न इलाकों में घरों का भी सर्वेक्षण किया गया। इसमें घरों की आर्थिक स्थिति, उनके रहन-सहन का स्तर आदि पर भी सर्वेक्षण किया गया। जिन इलाकों में स्कूल में बच्चों की दक्षता का मूल्यांकन हुआ, वहां और आसपास के इलाकों में कितने लोग पक्के मकान में रहते हैं, उनके पास गाड़ी कौन सी है, घरों में बिजली, मोबाइल, लैपटॉप आदि की स्थिति का भी मूल्यांकन किया गया। साल 2016 में सूबे में पक्के मकान वाले 43 फीसदी थे, वहीं वर्ष 2024 में यह 50.8 फीसदी पर पहुंच गया है।
सूबे में इस तरह बढ़ा आंकड़ा :
सूबे में साल 2016 में 43 फीसदी पक्के मकान वाले थे। वहीं, 2018 में यह आंकड़ा 49.2 फीसदी पर पहुंचा गया। साल 2022 में यह आंकड़ा 49 फीसदी ही रहा। वहीं, साल 24 में यह 50.8 फीसदी पर पहुंच गया। केरल में यह आंकड़ा इस साल 93.2 फीसदी है। पंजाब में 82.4 फीसदी, राजस्थान में 73.2 फीसदी, यूपी में 70.9 फीसदी और उत्तराखंड में यह आंकड़ा 89.9 फीसदी रहा है। आंध्र प्रदेश में 74 फीसदी और हरियाणा में यह 83 फीसदी आंकड़ा है। सूबे से पीछे रहने वालों में असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्य हैं।
सूबे में 19 फीसदी परिवार ऐसे जहां एक से अधिक सदस्य जानते हैं कम्प्यूटर चलाना :
सूबे में 19 फीसदी परिवार ऐसे हैं जहां एक से अधिक सदस्य कंप्यूटर चलाना जानते हैं। 2022 में यह आंकड़ा 14.2 फीसदी ही था। देशभर में सबसे अधिक केरला में 67 फीसदी और हिमाचल प्रदेश में 49.6 फीसदी परिवार ऐसे हैं जहां एक से अधिक सदस्य कंप्यूटर चलाना जानते हैं। सबसे कम आंध्र प्रदेश में 10 फीसदी ही ऐसे परिवार हैं।
91 फीसदी परिवारों में स्मार्टफोन के साथ इंटरनेट की सुविधा भी :
असर के आंकड़े बताते हैं कि सर्वेक्षण के दौरान सूबे में 91.8 फीसदी परिवार ऐसे मिले जिनके पास स्मार्टफोन भी था और घरों में इंटरनेट की सुविधा भी थी। साल 2022 में यह आंकड़ा 89.9 फीसदी ही था। केरल में यह आंकड़ा 97.8 फीसदी रहा है। साल 22 में यहां आंकड़ा 97.7 फीसदी था। मिजोरम में यह आंकड़ा 99 फीसदी है।
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