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एक देश एक पुस्तकालय अधिनियम बनाए केंद्र सरकार

बिहार सरकार 8053 ग्राम पंचायतों, 533 प्रखंड समितियों और 36 जिला परिषदों में पुस्तकालय खोलने जा रही है। यह जानकारी पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने एक संगोष्ठी के समापन पर दी। संगोष्ठी में एक...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरSun, 6 April 2025 07:51 PM
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एक देश एक पुस्तकालय अधिनियम बनाए केंद्र सरकार

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। बिहार के लगभग 8053 ग्राम पंचायतों, लगभग 533 प्रखंड समितियों एवं 36 जिला परिषदों में सरकार पुस्तकालय खोलने जा रही है, जो अंतिम चरण में है। ये बातें रविवार को बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुख्यालय अंतर्गत केन्द्रीय पुस्तकालय स्थित सीनेट सभागार में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन करते हुए बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने कही।

उन्होंने देश के कोने-कोने से आये प्रतिभागियों, विषय विशेषज्ञों एवं आयोजन समिति खासकर केन्द्रीय पुस्तकालय के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. के.के. चौधरी को धन्यवाद दिया कि लाइब्रेरी साइंस पर पहलीबार बिहार विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। संगोष्ठी में एक देश एक पुस्तकालय अधिनियम बनाने को भी मजबूती से रखा गया।

मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के प्रोफेसर व दिल्ली विवि अंतर्गत गांधी भवन के निदेशक प्रो. केपी सिंह ने कहा कि देश के युवा स्वामी विवेकानंद का अनुशरण करें ताकि हमारा देश 2047 से पहले विकसित हो सके। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के लिए बड़ी-बड़ी इमारतें या अन्य गगनचुंबी आधाभूत संरचना महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि हमारे युवाओं में बौद्धिक संपदा का विकास आवश्यक है। विशिष्ट अतिथि बाबा साहेब भीमराव अंबेदकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलानुशासक, संकायाध्यक्ष एवं पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. एमपी सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार को एक देश एक चुनाव, वन नेशन वन शब्सक्रीप्शन के तर्ज पर एक देश एक पुस्तकालय अधिनियम बनाना चाहिए। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. संजय कुमार ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय का पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग ने तीन दिवसीय सफल राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर पूरे देश में इस विश्वविद्यालय को प्रतिस्थापित करने का कार्य किया है। कार्यक्रम में डॉ. अमित किशोर की पुस्तक ज्ञान संगठन, सूचना प्रसंस्करण एवं पुनर्प्राप्ति का लोकार्पण किया गया। उन्हें सर्वोत्तम पेपर अवार्ड से सम्मानित भी किया गया। इसमें लखनऊ से प्रो. सोनकर, कोलकता से प्रो. सुवणों दास, बोधगया से डी. रूद्र ना. शुक्ला समेत अन्य लोग शामिल रहे।

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