मुजफ्फरपुर में एईएस ने दी दस्तक, पारू व कुढ़नी में दो मरीज मिले
मुजफ्फरपुर में एईएस के दो मामलों की पुष्टि हुई है। दोनों बच्चे एसकेएमसीएच में भर्ती हुए थे और हाइपोग्लाइसीमिया के कारण पीड़ित थे। दोनों को ठीक होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।...
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मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता जिले में एईएस की दस्तक हो गई है। एसकेएमसीएच में भर्ती कराए गए दो बच्चों में एईएस की पुष्टि हुई है। एक बच्चा पारू और दूसरा कुढ़नी प्रखंड का रहने वाला है। एक की उम्र पांच तो दूसरे की चार साल है। दोनों बच्चों में एईएस का कारण हाइपोग्लाइसीमिया बताया गया है। ठीक होने के बाद शुक्रवार को दोनों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
एईएस पीड़ित एक बच्चे को 16 और दूसरे को 18 फरवरी को एसकेएमसीएच के पीकू (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) में भर्ती कराया गया था। पिछले साल 26 फरवरी को एईएस का पहला मरीज मिला था। एईएस को लेकर 25 फरवरी को एसकेएमसीएच में डॉक्टरों की बैठक होने वाली है। पिछले साल जिले में एईएस के 42 मरीज मिले थे। वहीं, एसकेएमसीएच में 82 मरीजों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। बाकी बच्चे मुजफ्फरपुर के आसपास के जिलों के थे।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिाकरी डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि एईएस को लेकर सभी पीएचसी प्रभारियों को निर्देश दे दिया गया है। पिछले साल जिले में बोचहां में चार, कांटी में दो, कटरा में चार, कुढ़नी में छह, मीनापुर में पांच, मोतीपुर में तीन, मुशहरी में सात, पारू में दो, सकरा में तीन, सरैया में एक और शहरी क्षेत्र में तीन मरीज मिले थे। इसके अलावा एसकेएमसीएच में पूर्वी चंपारण के 16, सीतामढ़ी के 13, शिवहर के पांच, वैशाली के तीन, गोपालगंज के एक, लखीसराय के एक व सारण के एक मरीज को भर्ती कराया गया था। इस दौरान एसकेएमसीएच से एईएस के तीन मरीज लामा हो गए थे। बीते अक्टूबर महीने तक जिले में एईएस के मरीज मिले थे।
वहीं, इस माह नए मरीज मिलने के बाद एईएस लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ गया है। सभी पीएचस को निर्देश दिया गया है कि एईएस को लेकर अभी से ही जागरूकता फैलाने का काम शुरू कर दें। आशा कार्यकर्ता लोगों के बीच जाकर बच्चों को रात में खाना खिलाकर सुलाने और मीठा खिलाने के संबंध में जानकारी देंगी। एईएस को लेकर स्वास्थ्य विभाग तैयारियों की समीक्षा भी कर रहा है। डॉ. सुधीर ने बताया कि एसकेएमसीएच में 25 को होने वाली बैठक में जीरो डेथ पर रणनीति तैयार की जाएगी। इसके अलावा ओपीडी में आने वाले कुपोषित बच्चों को एनआरसी भेजने को कहा जाएगा। एईएस को लेकर आईसीडीएस विभाग से भी स्वास्थ्य विभाग समन्वय बनाएगा। आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं को ओआरएस बांटने के लिए दिया जाएगा।
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