यज्ञ में निहित है समस्त मानव का कल्याण
नगर के मुलुकटांड़ में महारुद्र सह शतचंडी महायज्ञ का समापन पूर्णाहुति के साथ हुआ।...
नगर के मुलुकटांड़ में महारुद्र सह शतचंडी महायज्ञ का समापन पूर्णाहुति के साथ हुआ। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच बौसी धाम के वेदाचार्य डा. रतीश चन्द्र झा और उनके 25 सहयोगियों के द्वारा पूर्णाहुति का सामूहिक हवन सम्पन्न कराया गया। महायज्ञ के समापन दिवस पर सैंकड़ों श्रद्धालु यज्ञ मंडप की परिक्रमा की। यज्ञ स्थल पर विभिन्न देवी-देवताओं के कुल 108 मूर्तियों की भी पूजा की गई। पूर्णाहुति के दौरान डा. रतीश चन्द्र झा ने कहा कि गृहस्थों के लिए पंच महायज्ञ अनिवार्य है। सभी ग्रंथों में पंच महायज्ञ का वर्णन मिलता है। मनुष्य यज्ञ, भूतों यज्ञ, पितृ यज्ञ, देव यज्ञ और ब्रह्म यज्ञ। उन्होंने कहा कि यज्ञ समस्त मानव के कल्याण के लिए किया जाता है। गीता के चतुर्थ अध्याय में तो यज्ञ का विस्तार से वर्णन किया गया है। भगवान श्री कृष्ण ने यज्ञ के विविध आयामों पर प्रकाश डाला है। इस मौके पर उपाचार्य विभूति मिश्रा, ब्रह्म राज, भजन मिश्रा, वैदिक अखिल रंजना झा, रवि झा, रंजन झा, भूपनारायण मिश्रा, राजेश मिश्रा, योगेश्वर गोस्वामी, सदानंद सिंह, भरत सिंघानियां, अंकुश शांडिल्य, अमन मिश्रा, दीपक यादव, रजनीश झा, राजीव नागर, सत्यम निराला, आदि मौजूद थे।
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