उर्दू तहजीब की भाषा है, यह गंगा जमुनी संस्कृति की है पहचान : डीएम
मुंगेर में उर्दू भाषा के उत्थान के लिए एक जिला स्तरीय कार्यशाला और मुशायरा का आयोजन किया गया। डीएम अवनीश कुमार सिंह ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया और उर्दू भाषा को संस्कृति से जोड़ने की आवश्यकता पर जोर...
मुंगेर, निज प्रतिनिधि। उर्दू भाषा के उत्थान के लिए उर्दू निदेशालय बिहार पटना के निर्देश पर वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतर्गत जिला उर्दू भाषा कोषांग की ओर से मंगलवार को स्थानीय प्रेक्षागृह में जिला स्तरीय कार्यशाला एवं मुशायरा का आयोजन किया गया। उद्घाटन डीएम अवनीश कुमार सिंह ने दीप जलाकर कर किया। डीएम ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से उर्दू भाषी समुदाय में एक विशेष ऊर्जा का संचार होता है, जिसके माध्यम से वे उर्दू के उत्थान के लिए प्रेरित होते हैं। उन्होंने उपस्थित सभी लोगों की हौसला आफजाई की। उन्होंने कहा कि उर्दू तहजीब की भाषा है। यह गंगा जमुनी संस्कृति की पहचान है। इस भाषा को बिहार में दूसरी सरकारी भाषा होने का गौरव प्राप्त है। इस स्थिति में हम सभी का दायित्व है कि उर्दू सीखने व सिखाने के लिए आगे आएं। उर्दू वह भाषा है जो हमारी संस्कृति से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि भाषा कोई भी हो इसे किसी सीमा या धर्म के आईने से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। इस आयोजन के लिए डीएम ने आयोजनकर्ता को बधाई भी दी।
मौके पर जहां मुशायरा कार्यक्रम में आगन्तुक शायरों के द्वारा पेश किए गए मुशायरा के माध्यम से लोगों को खूब आनंदित किया। वहीं सेमिनार में कई आगंतुकों के द्वारा भी संबंधित विषय पर अपने अपने वक्तव्य रखे। कार्यशाला का उद्देश्य उर्दू भाषा को प्रचारित एवं प्रसारित करना है तथा अधिक से अधिक लोगों को इस भाषा के प्रयोग पर बल दिया गया।
प्रतियोगिता के समापन के अवसर पर प्रभारी पदाधिकारी उर्दू भाषा कोषांग ने उपस्थित सभी प्रतिभागियों, उपस्थित सभी उर्दू प्रेमियों सहित उर्दू सेल के सभी कर्मियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रभारी पदाधिकारी जिला उर्दू कोषांग मुंगेर जावेद अखतर, जिला औकाफ कमेटी मुंगेर के अध्यक्ष अब्दुल्ला बुखारी सहित अन्य उपस्थित थे।
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