मुंगेर विश्वविद्यालय में स्नातक का दो सत्र चल रहा है पीछे
मुंगेर विश्वविद्यालय में 2023-27 और 2024-28 के चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम का सत्र लगभग 4 महीने पीछे चल रहा है। छात्र-छात्राओं में असंतोष है, जिससे उनका करियर प्रभावित हो सकता है। प्रदर्शन और पुतला...

मुंगेर, एक संवाददाता। मुंगेर विश्वविद्यालय में 4 वर्षीय स्नातक कोर्स का सत्र- 2023-27 और 2024-28 लगभग 4 महीने पीछे चल रहा है। इससे छात्र-छात्राओं में गहरा असंतोष व्याप्त है। विद्यार्थियों को डर है कि, चार वर्षीय डिग्री कोर्स अब पांच वर्षों में पूरा करना पड़ेगा, जिससे न केवल उनका समय बर्बाद होगा बल्कि करियर पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा। वहीं, सत्र में हो रही देरी को लेकर बीते दिनों को छात्र राजद के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन भी किया था और परीक्षा नियंत्रक डॉ. अमर कुमार का पुतला दहन भी फूंका गया। इसके पूर्व छात्रों ने जुलूस भी निकाला था। कार्यक्रम का नेतृत्व विश्वविद्यालय छात्र राजद के महासचिव कौशल मिश्रा ने किया था। लेकिन, सत्र कैसे नियमित होगा, इसको लेकर परीक्षा विभाग द्वारा अब तक ना तो कोई योजना बनाई गई है और ना इस संबंध में विभिन्न छात्र संगठनों से कोई वार्ता ही की गई है। ऐसे में, डिग्री मिलने में 1 वर्ष की देरी की संभावना से सशंकित छात्र-छात्राएं अंदर से काफी आंदोलित हैं। यदि सत्र में और देरी हुई औरजल्द ही परीक्षा विभाग ने इस संबंध में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया तथा आवश्यक कदम नहीं उठाया, तो एक बार फिर वे आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं।
इस संबंध छात्र आयुष कुमार एवं किसलय कुमार सहित कई छात्रों ने कहा कि, सीबीसीएस प्रणाली के अनुसार हर छह महीने में परीक्षा होनी चाहिए, लेकिन सत्र नियमित न होने से न तो पढ़ाई ठीक से हो पा रही है, न परीक्षा समय पर हो रही है। छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, परीक्षा विभाग राजभवन और शिक्षा विभाग के निर्देशों की अनदेखी कर रहा है। जबकि, इन दोनों ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि, विश्वविद्यालय सत्र को नियमित बनाएं, ताकि छात्र समय पर अपनी पढ़ाई पूर्ण कर सकें और डिग्री पा सकें।
विश्वविद्यालय में शोध कार्य पर संकट:
उधर, विश्वविद्यालय में शोध कार्य भी संकट में है। पीजीआरसी (पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल) की बैठक जो 15 अप्रैल को होनी थी, उसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। जिससे सोशल साइंस के विभिन्न विषयों के शोधार्थी चिंतित हैं। कई शोधार्थियों ने दो साल पूर्व नामांकन लिया, लेकिन पीजीआरसी की अनुमति के अभाव में अब तक पंजीयन नहीं हो पाया है।
यूजीसी के नियमानुसार तीन साल में शोध कार्य पूरा करना आवश्यक है, लेकिन पहले ही एक वर्ष की देरी हो चुकी है। यदि जल्द बैठक नहीं हुई, तो शोधार्थियों के शोध की वैधता पर भी खतरा मंडरा सकता है। ऐसे में, विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष अब सबसे बड़ी चुनौती सत्र को नियमित करने और पीजीआरसी की बैठक शीघ्र आयोजित करने की है। अन्यथा, छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकारमय होने की आशंका बनी रहेगी।
कहते हैं परीक्षा नियंत्रक:
दोनों डिग्री का सत्र लगभग 2-3 महीना लेट है। बाढ़, चुनाव एवं छात्रों द्वारा परीक्षा बढ़ाने की मांग के कारण सेशन लेट चल रहा है। सत्र में हुई यह देरी इतना अधिक नहीं है कि उसे पटरी पर नहीं लाया जा सके। योजनाबद्ध तरीके से सत्र को नियमित कर लिया जाएगा। जहां तक शोध कार्य से संबंधित पीजीआरसी की बैठक की बात है, इस मामले में डीन की बैठक में उपस्थित नहीं होने के कारण देर हो रही है। जल्द ही इसकी बैठक निर्धारित की जाएगी। संभावना है कि अगले महीने के पहले सप्ताह में ही पीजीआरसी की बैठक निर्धारित की जाएगी।
-प्रो संजय कुमार, कुलपति, मुंगेर
विश्वविद्यालय, मुंगेर
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