केंद्र सरकार की नीति मजदूर विरोध, निजीकरण और आउटसोर्सिंग बर्दाश्त नहीं: संगठन मंत्री
साथ आक्रोश प्रदर्शन ईआरएमयू जमालपुर वर्कशॉप ने निकाली आक्रोश रैली, ईआरएमयू ओपन लाइन ने की नुक्कड़ सभा जमालपुर। निज प्रतिनिधि एआईआरएफ एवं ईआरमएयू

जमालपुर। निज प्रतिनिधि एआईआरएफ एवं ईआरमएयू केंद्र के संयुक्त आह्वान पर शुक्रवार को भारतीय रेलवे में केंद्रीय मांगों को लेकर आक्रोश प्रदर्शन किया गया। इसी क्रम में ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन (ईआरएमयू), शाखा वर्कशॉप जमालपुर एवं ईआरएमयू ओपन लाइन, जमालपुर की ओर से अलग अलग समय में विरोध प्रदर्शन व जुलूस निकाली गयी। ईआरएमयू जमालपुर वर्कशॉप के हजारों कार्यकर्ता हाथों में बैनर, झंडा और पोस्टर लिए आक्रोशा रैली का शुभारंभ किया। तथा वर्कशॉप के बीएलएसी शॉप, क्रेन शॉप, डब्लूआरएस शॉप वन, टू, थ्री और फोर सहित अन्य शॉपों में भ्रमण किया, तथा रेलकर्मियों के साथ आवाज बुलंद की। आक्रोश रैली का नेतृत्व एआईआरएफ के वर्किंग मेम्बर वीरेंद्र प्रसाद यादव, शाखा सचिव सह केंद्रीय संगठन मंत्री अनिल प्रसाद यादव ने संयुक्त रूप किया। वहीं कारखाना हेल्थ यूनिट परिसर में रैली उपरांत एक सभा का आयोजन किया गया।
सभा की अध्यक्षता शाखा उपाध्यक्ष परमानंद कुमार ने की। मौके पर वीरेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि केंद्र की नीति मजदूर विरोधी है। रेलवे को धीरे-धीरे निजीकरण की जा रही है। वहीं आउटसोर्सिंग को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अलावा रेलकर्मियों की छटनी भी जारी है। ऐसे में आने वाले दिनों में रेलवे पूर्णत: रूप से प्राइवेट हो जाएगा। यह भारतीय रेल व देशवासियों के लिए शुभ संकेत नहीं है। अनिल यादव ने कहा कि ओपीएस की मांग पर सरकार ने अपना पैतरा बदला है और आगामी एक अप्रैल से नई स्कीम यूपीएस लागू करने जा रही है। उन्होंने कहा कि यूपीएस में कई विसंगंतियां है, इसलिए इसे दूर किया जाय। इसके अलावा यूपीएस में ओपीएस की सारी बातों व मांगों को समायोजित की जाय। ताकि रेलकर्मियों व उनके आश्रितों का भविष्य सुरक्षित हो सके। संयुक्त सचिव गोपाल जी ने कहा कि पूरे देश में राष्ट्रव्यापी मांगों को लेकर हर शाखा में हर स्थान पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूरे भारतीय रेल में लगभग ढाई लाख पद रिक्त हैं।
इसे भरने की जगह और पदों को समाप्त की जा रही है। ताकि भारतीय रेल को निजी हाथों, ठेकेदारों को सौंपा जा सके। यह हम किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। मौके पर मृत्युंजय कुमार सिंह, कमोज कुमार, रिजवान आलम, अभिमन्यु पासवान, धनंजय कुमार, अभिषेक कुमार, शिशिर कुमार, शिवव्रत गौतम, गणेश कुमार, देवशंकर सिंह, पंकज कुमार, संजय कुमार, रवि शंकर कुमार, धर्मेंद्र कुमार, चंदन कुमार, उन्नत कुमार सिंह, महिला कमेटी की नूतन कुमारी, मधु कुमारी, कविता कुमारी, प्रियंका कुमारी सहित हजारों यूनियन नेता व रेलकर्मी मौजूद थे।
ईआरएमयू, ओपन लाइन के कार्यकर्ताओं ने भी नुक्कड़ सभा आयोजित भरी हुंकार
पूर्व रेलवे डीजल शेड जमालपुर में शुक्रवार को केंद्रीय कमेटी आह्वान पर ईआरएमयू, ओपन लाइन के कार्यकर्ताओं ने भी एक नुक्कड़ सभा का आयोजन कर हुंकार भरी है। सभा की अध्यक्षता शाखाध्यक्ष बृज गोपाल ने की, तथा संचालन केंद्रीय संगठन मंत्री सत्यजीत कुमार एवं शाखा सचिव शिवदयाल मंडल के संयुक्त किया। सत्यजीत कुमार ने कहा कि केंद्री की नीतियां से रेलकर्मियों की हकमारी की जा रही है। हर महीने दो महीने में नए नए फरमान जारी कर रेलकर्मियों के अधिकार का हनन किया जा रहा है। आने वाले दिनों में अगर हमलोग एक होकर विरोध नहीं करेंगे तो रेलवे को पूरी तरह निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा। मौके पर पूर्व केंद्रीय सहायक महामंत्री केडी यादव, सुबोध कुमार रंजन सिंह, सुमन, नीतू देवी, नागेश्वर मरांडी, संजय कुमार शर्मा, कुमकुम देवी, सुजीत कुमार सहित अन्य मौजूद थे।
ये है रेल यूनियन व रेलकर्मियों की मुख्य मांगें
रेलवे के सभी विभागों में खाली पड़े पदों को जल्द से जल्द भरा जाय, रेलवे का निजीकरण करना बंद करे सरकार, रेलवे संशोधन बिल 2024 को जल्द से जल्द रद्द किया जाए, नए श्रम कानून को हटाया जाए, यूपीएस में ओपीएस की सारी सुविधाएं जोड़ी जाय, सेवानिवृत्ति रेल कर्मियों को पुन: बहाल करना बंद किया जाए, रेल कर्मचारियों को 8 घंटे से अधिक ड्यूटी करना बंद हो, रेलवे के सभी विभागों का रिस्ट्रक्चरिंग जल्द से जल्द किया जाए, रेल कर्मचारियों के माता-पिता को मेडिकल की सुविधा बहाल किया जाए, आठवें वेतन आयोग से पहले 50% महंगाई भत्ता को यथाशीघ्र वेतन के साथ जोड़ा जाए सहित अन्य मांगें हैं।
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