सामाजिक बदलाव और वैचारिक क्रांति का सशक्त साधन है साहित्य: नीलाद्रि
जेआरएस कॉलेज, जमालपुर में मुंगेर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी स्नातकोत्तर विभाग द्वारा 'सीमाओं से परे: अंग्रेजी भाषा और साहित्य के अध्ययन में समकालीन प्रवृत्तियां' विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का...

मुंगेर, एक संवाददाता। जेआरएस कॉलेज, जमालपुर में संचालित मुंगेर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी स्नातकोत्तर विभाग द्वारा शुक्रवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। संगोष्ठी का विषय था ‘सीमाओं से परे: अंग्रेजी भाषा और साहित्य के अध्ययन में समकालीन प्रवृत्तियां। इस शैक्षणिक आयोजन में देशभर के विद्वानों और शिक्षकों ने भाग लिया और समकालीन साहित्यिक प्रवृत्तियों पर गहन विमर्श प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में कल्याणी विश्वविद्यालय के प्रो. नीलाद्रि चटर्जी ने साहित्य की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि साहित्य केवल सौंदर्यबोध या मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक बदलाव और वैचारिक क्रांति का सशक्त साधन है। उन्होंने शेक्सपीयर, मिल्टन, ब्लेक एवं वर्जीनिया वुल्फ जैसे लेखकों का हवाला देते हुए कहा कि इन साहित्यकारों ने अपने समय की सामाजिक और नैतिक संरचनाओं को चुनौती दी।
संगोष्ठी को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय कुमार ने भी वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया। अपने संदेश में उन्होंने तकनीक और भाषा के बदलते स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, आधुनिक युग में भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं रह गई है, बल्कि वह समाज को जोड़ने वाली सशक्त कड़ी बन चुकी है। वहीं, पूर्णिया विश्वविद्यालय के प्रो. शंभू लाल वर्मा सहित अन्य वक्ताओं ने कहा कि समकालीन साहित्य अब पारंपरिक सीमाओं को पार कर चुका है और लोक साहित्य, लोकप्रिय लेखन तथा गैर-पारंपरिक विधाएं भी मुख्यधारा में स्थान बना रही हैं।
संगोष्ठी के पहले दिन 100 पृष्ठों की स्मारिका का विमोचन भी किया गया। विमोचन कार्यक्रम में प्रो. देवराज सुमन, प्रो. अनिल कुमार प्रसाद, डॉ. विजय कुमार रॉय एवं डॉ. दिवाकर कुमार समेत कई गणमान्य शिक्षाविद् उपस्थित थे। यह संगोष्ठी विश्वविद्यालय में गंभीर शैक्षणिक विमर्श की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखी जा रही है, जिससे छात्र, शोधार्थी और शिक्षक सभी लाभान्वित हुए। इसका बृहत्तर प्रभाव आने वाले समय में विभाग के छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों पर अवश्य पड़ेगा।आयोजन विभागाध्यक्ष सह आयोजन समिति के संयोजक प्रो. भवेश चंद्र पांडेय की अध्यक्षता में हुआ। सत्र का संचालन स्वाति प्रिया ने किया, जबकि प्रथम दिन की समाप्ति पर धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रियरंजन तिवारी ने किया।
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