मुंगेर विवि: विभागीय पुस्तकालय का प्रस्ताव अधर में, छात्रों को हो रही परेशानी
मुंगेर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों में पुस्तकालय की स्थापना का प्रस्ताव फाइलों में अटका हुआ है। छात्रों का कहना है कि विभाग में पुस्तकालय नहीं होने से अध्ययन में कठिनाई हो रही है। पिछले वर्ष...
मुंगेर, एक संवाददाता। मुंगेर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों संचालन शुरू हुए 2 वर्ष से अधिक हो चुके हैं, किंतु अभी तक यहां विभागीय पुस्तकालय की स्थापना का प्रस्ताव फाइलों में ही अटका हुआ है। हालांकि, विभागों में पद सृजन को अभी अंतिम स्वीकृति नहीं मिली है, लेकिन विभाग का संचालन तो हो ही रहा है और छात्र यहां पढ़ाई भी कर रहे हैं। ऐसे में छात्रों के लिए विभागों में पुस्तकालय की सख्त आवश्यकता है, ताकि यहां बेहतर शैक्षणिक माहौल हो सके और छात्र पुस्तकालय का लाभ उठा सकें।
फाइलों में गुम प्रस्ताव:
ज्ञात हो कि, विभागों में पुस्तकालय के लिए पुस्तकें और अन्य सामग्रियों की खरीद का प्रस्ताव पहले ही भेजा जा चुका है, लेकिन यह प्रस्ताव फाइलों में ही गुम होकर रह गया है। इस विषय पर विश्वविद्यालय में कई बैठकें भी हुईं और 2 लाख रुपए खर्च करने पर सहमति बनी, किंतु परिणाम अब तक शून्य ही रहा है।
छात्रों की समस्याएं:
जमालपुर कॉलेज जमालपुर एवं जेआरएस कॉलेज जमालपुर में संचालित विभिन्न स्नातकोत्तर विभागों के छात्र-छात्राओं का कहना है कि, विभाग में पुस्तकालय है नहीं और विश्वविद्यालय में है भी तो वहां पहुंचना समय एवं श्रम साध्य है। ऊपर से वहां अध्ययन कक्ष की भी सुविधा नहीं है। ऐसे में हमें पुस्तकालय का कोई लाभ नहीं मिल पाता है। पिछले वर्ष के शुरुआती महीना में विश्वविद्यालय में हुई बैठक में पीजी विभागों को एक अलमारी और दो लाख रुपए देने की घोषणा हुई थी। इसके साथ ही, विभागाध्यक्षों से दो-दो पुस्तकें विभाग को दान देकर तत्काल पुस्तकालय शुरू करने की अपील की गई थी। लेकिन न तो अलमारी मिली, न ही पुस्तकें, और न ही वित्तीय सहायता।
वर्तमान में, हिंदी जैसे कुछ विभागों में विभागाध्यक्ष के द्वारा अच्छी-खासी संख्या में पुस्तकों का प्रबंध किया गया है, किंतु उसे रखने की अभी तक वहां कोई समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई है। यही नहीं, विश्वविद्यालय द्वारा विभागों में तो अभी तक पुस्तकालय की शुरुआत नहीं ही की गई है, विश्वविद्यालय में पुस्तकालय की शुरुआत की भी गई है तो वहां अध्ययन की सुविधा नहीं है। और तो और अभी तक विश्वविद्यालय में ई-लाइब्रेरी के लिए सर्वर लगाने और विशेष सॉफ्टवेयर जोड़ने की बात भी अब तक अधूरी ही है। ऐसे में स्नातक के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के समक्ष पुस्तकों की उपलब्धता की समस्या मुंह बाए खड़ी है, लेकिन विश्वविद्यालय के पास इसका कोई समाधान नहीं है। ऐसे में, हमारी मांग है कि, विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द- से- जल्द इस मुद्दे का समाधान करे, ताकि छात्रों की शैक्षणिक जरूरतें पूरी हो सके।
कहते हैं अधिकारी:
प्रत्येक स्नातकोत्तर विभाग में विभागीय पुस्तकालय का होना आवश्यक है। इसके लिए विभागों के द्वारा संचिका बढ़ाई गई थी, लेकिन अब तक विभागों में पुस्तकालय स्थापित नहीं हो सका है। स्नातकोत्तर विभागों में पुस्तकालय का अभाव शैक्षणिक दृष्टिकोण से अच्छा नहीं है।
-- प्रो बीसी पांडेय, डीएसडब्ल्यू, मुंगेर
विश्वविद्यालय, मुंगेर
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