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मुंविवि में डॉ अंबेडकर के जीवन और योगदान पर हुई भाषण प्रतियोगिता

मुंगेर विश्वविद्यालय के एनएसएस इकाई ने रविवार को डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन और योगदान पर ऑनलाइन भाषण एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की। इस प्रतियोगिता में 28 छात्रों ने भाग लिया। महिला वर्ग में...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुंगेरMon, 7 April 2025 02:38 AM
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मुंविवि में डॉ अंबेडकर के जीवन और योगदान पर हुई भाषण प्रतियोगिता

मुंगेर, हिन्दुस्तान संवाददाता। मुंगेर विश्वविद्यालय के एनएसएस इकाई ने रविवार को ऑनलाइन भाषण एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया। जिसके माध्यम से विभिन्न कॉलेज के छात्र-छात्राओं का मूल्यांकन किया गया। यह कार्यक्रम डॉ. बीआर अंबेडकर के जीवन और योगदान विषय पर केंद्रित था। गौरतलब है कि संसदीय लोकतंत्र अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड)के द्वारा बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर के जन्मोत्सव पर लोकसभा सचिवालय नई दिल्ली में आयोजित संगोष्ठी में मुंगेर विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं की प्रतिभागिता दर्ज कराने के लिए यह ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजित थी। जिसका संचालन डॉ चन्दन कुमार ने किया । अध्यक्षता डीएसडब्ल्यू प्रो भावेश चंद्र पांडेय ने की । कार्यक्रम का संयोजन कार्यक्रम समन्वयक मुनीन्द्र कुमार सिंह ने किया।

इस ऑनलाइन प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल एवं चयन समिति में कुलपति के निदेशानुसार स्वयं एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक मुनीन्द्र कुमार सिंह, बीआरएम कॉलेज मुंगेर के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ अभय कुमार और इतिहास विभाग के अध्यक्ष श्याम कुमार मौजूद थे। तकनीकी सहयोग एनएसएस कार्यालय के सुमंत कुमार ने किया।

ऑनलाइन प्रतियोगिता का शुभारंभ कार्यक्रम समन्वयक के वक्तव्य से हुआ। मौके पर डीएसडब्ल्यू ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर भारतीय परिप्रेक्ष्य में सामाजिक इतिहास के बड़े अध्येता हैं। बाबा साहब अंबेडकर ने समाज की मुक्ति की जो धारणा सामने रखी, वह देश की आजादी के समानांतर की कामना थी।उनके अध्ययन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उस समय एशिया की सबसे बड़ी निजी लाइब्रेरी उनके पास थी। कार्यक्रम में छात्र छात्राओं के बीच आंबेडकर के वैचारिकी को लेकर अच्छी चर्चा होगी इसकी आशा करते हैं। छात्र कल्याण अधिष्ठाता के संबोधन के बाद ज्यूरी सदस्य प्रो श्याम कुमार ने प्रतियोगिता के नियमों से परिचित कराया।

साथ ही कहा कि बाबा साहब अंबेडकर न केवल दलित वंचित गरीब, महिला और हाशिए से बाहर धकेले गए उत्पीड़ित डिप्रेस क्लास के विचारक हैं। बल्कि बाजारयुगीन दौर के लोकतंत्र में लोक के तंत्र की प्रतिष्ठा के बड़े पैरोकार बन कर उभरे हैं। आप सभी को अशोक गोपाल की नई किताब एक हिस्सा अलग जरूर पढ़नी चाहिए। इसके बाद विभिन्न कॉलेजों के पीओ और स्वयंसेवकों के परिचय के बाद प्रतियोगिता शुरू हुई। सबसे पहले आंशिक साक्षात्कार और प्रतिभागी के भाषण के बाद उनसे तीन प्रश्न ज्यूरी द्वारा पूछे गए और स्कोर शीट बनाया गया।

प्रतियोगिता में विभिन्न कालेजों के 28 छात्र छात्राओं ने लिया भाग--

प्रतियोगिता में विभिन्न कॉलेजों के 28 छात्र-छात्राओं ने भागीदारी दर्ज की। जिनमें महिला कॉलेज, खगड़िया की सैमेस्टर - 2 की छात्रा अनामिका कुमारी का चयन महिला वर्ग में किया गया ।वहीं पुरुष वर्ग में केएसएस कॉलेज लखीसराय के पीजी सेमेस्टर-2 के छात्र मो शमशाद आलम को चुना गया। स्टैंड बाई में महिला वर्ग में आरडी एंड डीजे कॉलेज की शिवानी प्रियदर्शी को तो पुरुष वर्ग में जेआरएस कॉलेज जमालपुर के बीए पार्ट- 2 के रोनित राय का चयन किया गया।

प्रतियोगिता के बाद ज्यूरी सदस्य डॉ अभय कुमार ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने केवल मनुष्यता की मांग के लिए कलम की लड़ाई लड़ी। बल्कि समाज में जो गैर बराबरी है उसके ऊपर उन्होंने प्रश्न उठाया। आज भी हम उन प्रश्नों पर विचार करने के लिए सोचते हैं। कार्यक्रम समन्वयक मुनींद्र कुमार सिंह ने बताया कि जिन चार छात्र छात्राओं का चयन किया गया है, उन्हें आज को सोमवार 7 अप्रैल के शाम 4 बजे वाली ऑनलाइन प्रतियोगिता में भाग लेनी है।

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