4 माह बाद मुंगेर विश्वविद्यालय को मिला नियमित कुलपति
माहौल मुंगेर, एक संवाददाता। लगभग 4 महीने के लंबे इंतजार के बाद मुंगेर विश्वविद्यालय को आखिरकार नियमित कुलपति मिल गया। नालंदा विश्वविद्यालय के प्र
मुंगेर, एक संवाददाता। लगभग 4 महीने के लंबे इंतजार के बाद मुंगेर विश्वविद्यालय को आखिरकार नियमित कुलपति मिल गया। नालंदा विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो संजय कुमार को अगले तीन वर्षों के लिए राज्य सरकार से सलाह के बाद राजभवन ने मुंगेर विश्वविद्यालय का नया कुलपति नियुक्त किया। इस संबंध में गुरुवार 9 जनवरी को राज्यपाल सह कुलाधिपति के आदेश से उनके मुख्य सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू ने एक पत्र जारी किया है। इस नियुक्ति से विश्वविद्यालय में नीतिगत और आर्थिक निर्णयों से जुड़े रुके हुए कार्यों के पूरे होने की उम्मीद बढ़ गई है। मुंगेर विश्वविद्यालय में यह नियुक्ति विकास और परिवर्तन की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है। सभी की नजरें अब नए कुलपति की प्राथमिकताओं और उनके कार्यशैली पर टिकी हैं।
रुके हुए कार्यों को मिलेगी गति:
विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति की नियुक्ति से अब प्रशासनिक सक्रियता बढ़ने की संभावना है। अब विश्वविद्यालय को नीतिगत एवं आर्थिक निर्णय से संबंधित कार्यों के निष्पादन के लिए लिए राजभवन की ओर मुंह नहीं देखना पड़ेगा, राजभवन की अनुमति का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सीनेट, सिंडिकेट और छात्र संघ चुनाव के आयोजन की राह भी अब साफ हो सकती है। इन चुनावों को लेकर लंबे समय से चर्चा हो रही थी, लेकिन नेतृत्व की कमी के कारण यह कार्य अधर में था। इसके अतिरिक्त सीनेट एवं सिंडिकेट की बैठक, शिक्षकों एवं कर्मचारीयों का वेतन निर्धारण, पदोन्नति से छूटे हुए शिक्षकों की पदोन्नति आदि जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यों को गति मिलेगी और इनका निष्पादन किया जाएगा।
अनुकंपा आश्रितों में जागी उम्मीद:
विश्वविद्यालय को नियमित कुलपति मिलने से अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे अनुकंपा आश्रितों में अपनी नियुक्ति को लेकर नई आस जग गई है। कुलपति के आने से उनकी नियुक्तियों में तेजी आने की आशा है। वहीं, विश्वविद्यालय को नए कुलपति मिलने पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे अनुकंपा आश्रितों में देव कुमार रावत, बबलू साह, अमित कुमार एवं श्रीराम चौधरी सहित कई अनुकंपा आश्रितों ने कहा कि, हम लोग अपनी नियुक्ति का इंतजार करते हुए थक चुके हैं। इसके लिए हमने कई बार विश्वविद्यालय में धरना-प्रदर्शन एवं आमरण अनशन भी किया, लेकिन अब तक हमें केवल आश्वासन ही मिला है। नए कुलपति के आने से हमें अपनी नियुक्ति का इंतजार खत्म होने की उम्मीद जगी है।
कर्मियों में खुशी का माहौल:
विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और शिक्षकों में कुलपति की नियुक्ति को लेकर उत्साह का माहौल है। उनका मानना है कि, अब प्रशासनिक कामकाज में पारदर्शिता और तेजी आएगी। रुके हुए कार्य तेजी से निपटाए जाएंगे। विकास की गाड़ी आगे बढ़ेगी। लगभग 8 महीने से कुलपति के नीतिगत एवं आर्थिक निर्णय लेने पर लगी रोक से विश्वविद्यालय का विकास पूरी तरह से रुक गया था और कई महत्वपूर्ण कार्य लटके हुए थे। अब नियमित कुलपति के आने से एक-एक कर सभी कार्यों का निष्पादन करना आसान हो जाएगा।
कहते हैं अधिकारी:
विश्वविद्यालय में नए कुलपति का स्वागत है। उनकी नियमित नियुक्ति से विश्वविद्यालय के विकास कार्यों में तेजी आएगी। लंबे समय से रुकी योजनाओं एवं कार्यों के जल्द पूरा होने की संभावना बढ़ गई है। आशा है कि, उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय विकास के पद पर अग्रसर होगा और इसका सर्वांगीण विकास होगा।
-- प्रो बीसी पांडेय, डीएसडब्ल्यू, मुंगेर
विश्वविद्यालय, मुंगेर।
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