Hindi NewsBihar NewsMunger NewsKaviguru Express Upgraded to LHB Coaches for Comfortable Travel from Jamalpur to Howrah

नए साल में रेलवे ने की सौगात, जमालपुर हावड़ा के यात्रियों को एलएचबी कोच वाली कविगुरू

जमालपुर और हावड़ा के यात्रियों के लिए अच्छी खबर है। कविगुरू एक्सप्रेस ट्रेन अब आईसीएफ कोच के बजाय लिंक हॉपमेन बुश (एलएचबी) कोच से लैस की जाएगी। इससे यात्रियों को आरामदायक और सुरक्षित सफर का अनुभव...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुंगेरSat, 28 Dec 2024 12:17 AM
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जमालपुर। निज प्रतिनिधि जमालपुर और हावड़ा के यात्रियों के लिए एक अच्छी खबर है। अब आपको हावड़ा जाने और जमालपुर आने में ट्रेन में हिचकोले नहीं खाने पड़े। रेलवे इससे निजात दिलाने के लिए ट्रेन नंबर 13015/16 कविगुरू एक्सप्रेस ट्रेन की इंटीग्रल कोच फक्ट्री (आइसीएफ) की जगह अब लिंक हॉपमेन बुश (एलएचबी) कोच से लैस की जाएगी। ताकि यात्रियों को सफर आरामदायक बनाया जा सके, वहीं सुरक्षित सफर की गांरटी दी जाएगी। पूर्व रेलवे मालदा प्रशासन ने इसे आगामी 4 जनवरी से संभावित परिचालन कराने का निर्णय लिया है। हालांकि हेडक्वार्टर का आदेश अभी शेष है। गौतलब है कि जमालपुर से हावड़ा के बीच सुपर एक्सप्रेस ट्रेन चलती है। इस ट्रेन को भी एलएचबी कोच के साथ परिचालन किया जा रहा है। लेकिन जमालपुर हावड़ा की कविगुरू एक्सप्रेस में आइसीएफ कोच लगी है, इसमें सीमित सुविधाएं हैं। जमालपुर स्टेशन से सुबह 6 बजे खुलती है और हावड़ा शाम 4.30 बजे पहुंच जाती है, तथा ट्रेन 453 किलोमीटर की दूरी तय करती है। लंबी दूरी की ट्रेन में एलएचबी कोच की नितांत आवश्यकता है। नए साल में अब पूरी होगी।

एलएचबी और आइसीएफ के बीच क्या है फर्क:

आइसीएफ कोच यानि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई, तमिलनाडु में स्थित है, इसकी स्थापना सन् 1952 में की गई थी।

ये लोहे से बनायी जाती है, इसलिए यह कोच भारी होती है। इसमें एयर ब्रेक का प्रयोग होता है। अधिकतम अनुमेय गति 110 किमी प्रति घंटा है। इसके रखरखाव में ज़्यादा खर्चा होता है। इसमें बैठने की क्षमता कम होती है और एलएचबी कोच से 1.6 मीटर छोटी होती है। दुर्घटना के बाद इसके डिब्बे एक के ऊपर एक चढ़ जाते हैं क्योंकि इसमें कोई डूअल बफर सिस्टम नहीं लगा होता है। इसका राइड इंडेक्स 3.25 होता है। आइसीएफ कोच को 18 महीनों में एक बार आवधिक ओवरहाल (पीओएच) की आवश्यकता होती है। वहीं लिंक हॉफमेन बुश (एलएचबी) कोच को बनाने की फैक्ट्री कपूरथला, पंजाब में स्थित है और ये कोच जर्मनी से भारत वर्ष 2000 में लाए गए हैं। ये स्टेनलेस स्टील से बनायी गयी है, इसलिए हल्की होती है। इससे हाई स्पीड पकड़ती है। इसमें डिस्क ब्रेक का प्रयोग होता है। अधिकतम स्पीड 200 किमी प्रति घंटा है और इसकी परिचालन गति 160 किमी प्रति घंटा तक लायक बनाया गया है। इसके रखरखाव में खर्च कम होता है। इस कोच में बैठने की क्षमता ज़्यादा होती है तथा आइसीएफ कोच से करीब 1.7 मीटर ज्यादा लंबा होता है। दुर्घटना के बाद इसके डिब्बे एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते हैं क्योंकि इसमें सेंटर बफर कूलिंग सिस्टम लगाया गया है। 9- इसका राइड इंडेक्स 2.5/ 2.75 के बीच होता है। दो साल में एक बार आवधिक ओवरहाल (पीओएच) की आवश्यकता होती है।

क्या कहते हैं एडीआरएम

मालदा मंडल से गुजरने वाली अधिकांशत लंबी दूरी की एक्सप्रेस व मेल ट्रेनों को एलएचबी कोच में तब्दील कर दिया गया है। हालांकि कविगुरू एक्सप्रेस आइसीएफ कोच के साथ चल रही है, लेकिन नए साल में इसे भी एलएचबी कोच में तब्दील कर दिया जाएगा।

एसके प्रसाद, एडीआरएम, मालदा पूर्व रेल

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