कृषि को व्यावसायिक रूप देने के लिए सरकारी प्रयास का अब दिखने लगा रंग
उत्पादन करने में सफल हो रहे किसान कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक अक्सर किसानों का कर रहे मार्गदर्शन मुंगेर, निज प्रतिनिधि। देश की अर्थव्यवस्थ
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मुंगेर, निज प्रतिनिधि। देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाली कृषि को व्यावसायिक रूप देने के लिए सरकारी प्रयास का रंग अब दिखने लगा है। किसान भी कहते हैं कि हर रोज नए-नए प्रयोग कर सरकार कृषि प्रणाली को उन्नत बनाने की दिशा में प्रयत्नशील है। इसका ज्वलंत उदाहरण है समेकित कृषि प्रणाली जिसके माध्यम से जिले के किसान आत्मनिर्भर बन रहे हैं। समेकित कृषि प्रणाली से हवेली खड़गपुर के पहाड़पुर गांव के प्रगतिशील किसान धनंजय सिंह सालों भर खेती करके अपनी आय वृद्धि कर रहे हैं। वर्तमान समय में धनंजय सिंह अन्य किसानों के लिये प्रेरणा के श्रोत बन गए हैं। इन्हें देख कर अन्य किसान भी समेकित कृषि प्रणाली को अपना कर मालामाल हो रहे हैं। वर्तमान में पहाड़पुर गांव को मैंगो गांव के नाम से भी जाना जाता है।
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क्या है समेकित कृषि प्रणाली :
समेकित कृषि प्रणाली कृषि की वह तकनीक है जिसमें कृषि से जुड़े सभी कार्य किया जाता है। इसके अंतर्गत मछली पालन, केला, सब्जी, धान, तेलहन आदि फसलों का उत्पादन होता है। इससे किसानों को अल्प सिचाई की व्यवस्था के बाद भी सालों भर खेती करने का विकल्प मिलता है और कम पानी की आवश्यकता वाली फसलों का भी उत्पादन करने में किसान सफल होते हैं। इसको लेकर कृषि विभाग की ओर से किसानों को प्रोत्साहित करने का कार्य अनवरत चल रहा है।
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कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक अक्सर किसानों का करते मार्गदर्शन:
किसानों के पास संसाधन रहने के बाद भी कृषि कार्य घाटा का सौदा साबित हो रहा था। पर,कृषि विज्ञान केंद्र मुंगेर की ओर से क्षेत्र में प्रगतिशील किसानों को चिह्नित कर सबसे पहले उसे प्रशिक्षण दिया और समेकित कृषि प्रणाली की सीख दी। खासकर जिन किसानों के पास अपना तालाब तो था पर वे मछली पालन के सिवाय तालाब से कोई लाभ नहीं ले पाते थे। उन्हें तालाब का मेड़बंदी करवा कर वहां तालाब में मछली पालन के सिवाय केला, बांस, धान, तेलहन व सब्जी फसल उत्पादन का वैज्ञानिक तरीका बताया गया। जिसके बाद से किसानों ने कृषि वैज्ञानिकों के टिप्स को अपनाकर समेकित कृषि अपनाकर अधिक आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।
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क्या कहते हैं किसान :
दरियापुर के प्रगति किसान बुलबुल सिंह ने बताया कि मछली पालन के साथ ही मुर्गी पालन, आम व अन्य फलों की खेती वे एक ही जमीन पर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केवीके से संपर्क में आने के बाद समेकित कृषि प्रणाली की तकनीक सीखने के बाद अब मछली पालन के अतिरिक्त हल्दी, मिर्च, ओल, सब्जी व अन्य फसलों का उत्पादन कर रहे हैं।
उत्पादन कर रहे हैं। बताया कि पूर्व में रबी फसल तो नहीं के बराबर ही होती थी। अब तेलहन फसल के उत्पादन से भी आमदनी हो जाती है। केवीके से प्राप्त सरसों बीज पूसा-30 से खेती कर रहे हैं। इससे प्रति एकड़ पांच-छह क्विटल सरसों मिल रहा है।
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क्षेत्र भ्रमण के दौरान किसानों को समेकित कृषि प्रणाली के बारे में जानकारी दी जा रही। ऐसे किसानों को केवीके से जोड़कर वैज्ञानिक खेती के बारे में बताया जा रहा है। वैज्ञानिक विधि से चूना, गोबर और रबी फसल के लिए गेहूं की जगह कम पानी वाले फसल उत्पादन के तरीके से भी अवगत कराया जा रहा है। वर्तमान समय में अधिक से अधिक किसान समेकित खेती को अपना कर अधिक आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।
मुकेश कुमार, वरीय कृषि वैज्ञानिक एवं प्रधान, कवीके, मुंगेर
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