पांच साल में बिहार के सभी थाने होंगे डिजिटल
मुंगेर में अपर पुलिस महानिदेशक पारसनाथ ने जिले के थानों में गंभीर अपराधों और लंबित मामलों की समीक्षा की। कासिम बाजार, मुफस्सिल और हवेली खड़गपुर थाना में लंबित मामलों की संख्या अधिक पाई गई। एडीजी ने...

मुंगेर, निज संवाददाता । अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं अनुसंधान विभाग पारसनाथ शुक्रवार को मुंगेर पहुंचे। इस दौरान डीआईजी कार्यालय के सभागार में बैठक कर मुंगेर जिले के विभिन्न थानों में घटित गंभीर अपराध और लंबित कांडों की समीक्षा की। समीक्षा बैठक में मुंगेर प्रक्षेत्र के डीआईजी राकेश कुमार, एसपी सैयद इमरान मसूद, सभी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, इंस्पैक्टर व थानाध्यक्ष मौजूद थे। समीक्षा के दौरान अन्य थानों की तुलना में कासिम बाजार, मुफस्सिल और हवेली खड़गपुर थाना में लंबित कांडों की संख्या ज्यादा मिली। इस पर एडीजी ने थानाध्यक्षो को लंबित कांडों के निष्पादन में तेजी लाने का निर्देश दिया। वहीं नए कानून के तहत थानों में फिजिकल के बदले डिजिटल का अधिक से अधिक प्रयोग करने पर बल दिया। एडीजी ने कहा कि सरकार द्वारा सभी थानों में लैपटॉप, कम्प्यूटर, प्रिंटर आदि की खरीदारी के लिए 192 करोड़ रुपया आवंटित किया गया है। इस राशि से थानों के लिए मोबाइल और लैपटाप, प्रिंटर की खरीदारी की जा रही है। सभी थानों को पूर्णत: डिजिटिलाइजेशन करने के लिए 5 वर्ष की समय सीमा निर्धारित की गई है। उनका प्रयास है कि निर्धारित समय सीमा से पहले सभी थाना का पूरी तरह डिजिटिलाइजेशन हो जाए। इसके लिए सभी थानों में पुलिस पदाधिकारी सहित मुंशी से लेकर गार्ड तक सभी के लिए प्रतिदिन एक घंटा का कम्प्यूटर प्रशिक्षण आयोजित करने का निर्देश दिया। ताकि थाना में गार्ड सिपाही और मंुशी से लेकर पुलिस पदाधिकारी सभी इंटरपेट और ईमेल आपरेट करने में दक्ष हो जाएं। किसी भी आपराधिक घटना संबंधी सारी जानकारी अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारी डिजिटल कर सकेंगे। इससे साक्ष्य में छेड़छाड़ की संभावना भी नहीं रहेगी।
एडीजी ने बताया कि कई बार अपराधी कोर्ट में झूठ बोल कर स्टेटमेंट बदल देते हैं, लेकिन डिजिटल हो जाने के बाद कोई भी अपराधी अपना स्टेटमेंट नहीं बदल सकेगा। इसके अलावा कई बार पुलिस कर्मी भी कांड के साक्ष्य में छेड़छाड़ कर देते हैं। डिजिटल होने के बाद साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की संभावना भी नहीं रहेगी।
एडीजी ने बताया कि नए कानून में डिजिटल साक्ष्य को प्रमाणित करने के लिए अलग से किसी गवाह को भी जरूरी नहीं माना गया है। ऐसे में डिजिटल साक्ष्य पुलिस कर्मियों के लिए भी हितकारी होगा। इससे पूर्व दोपहर करीब 12 बजे सर्किट हाउस में उन्हें गार्ड आफ ऑनर दिया गया।
समीक्षा बैठक के पश्चात मुंगेर एसपी सैयद इमरान मसूद ने बताया कि एडीजी के आदेश के आलोक में शनिवार से थानों में कम्प्यूटर प्रशिक्षण आरंभ करने के लिए निर्देशित किया गया है। बताया कि सभी थानों में कम्प्यूटर प्रशिक्षित तीन चार सिपाही व वेल्ट्रान कम्पनी के कार्यपालक सहायक उपलब्ध है। जो प्रशिक्षक के रूप में थानो में कार्यरत पुलिस पदाधिकारी से लेकर गार्ड और सिपाही तक को कम्प्यूटर का प्रशिक्षण देंगे।
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