मुंगेर में मॉडल अस्पताल पर कोरोना का ग्रहण
वैसे तो जिला प्रशासन तथा जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा जिले में कोरोना के जंग को लेकर जो भी तैयारियां हैं, उसे कतई कम नहीं आंका जा सकता है। किंतु कोरोना वायरस के इस संक्रमण काल में जिले में मॉडल...
वैसे तो जिला प्रशासन तथा जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा जिले में कोरोना के जंग को लेकर जो भी तैयारियां हैं, उसे कतई कम नहीं आंका जा सकता है। किंतु कोरोना वायरस के इस संक्रमण काल में जिले में मॉडल अस्पताल की कमी काफी खल रही है। कोरोना के संक्रमण काल जैसी आपदा में आम लोगों को स्वास्थ्य सेवा पहुंचाना में मॉडल हॉस्पीटल काफी मददगार साबित होता।
300 बेडों का बनना है मॉडल हॉस्पिटल : 300 बेडों का अस्पताल बनाये जाने के उद्देश्य से लगभग दो साल पूर्व बीएमएसआईसीएल की टीम ने सदर अस्पताल का निरीक्षण किया था। जिसके बाद जिले वासियों को एक उम्मीद जगी थी कि अब जल्द ही सदर अस्पताल में 300 बेडों का सपना पूरा हो जायेगा। जहां एक ही छत के नीचे महिला-पुरुष वार्ड, ओपीडी तथा अन्य चिकित्सकीय सुविधायें उपलब्ध हो पायेगी। निरीक्षण के दौरान टीम में शामिल अभियंता एवं परियोजना प्रबंधक ने संकेत दिया था कि जल्द ही सदर अस्पताल में 300 बेडों वाले भवन का निर्माण कार्य आरंभ हो जायेगा। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग से हरी झंडी मिल जाने की बात भी कही गयी थी। किंतु अब तक सदर अस्पताल को मॉडल हॉस्पिटल बनाये जाने का मामला अधर में अटका हुआ है।
तय समय पर नहीं पहुंची विशेषज्ञों की टीम : मालूम हो कि सदर अस्पताल को 300 बेडों का मॉडल हॉस्पिटल बनाये जाने के उद्देश्य से स्थल चयन के लिए पिछले 7 मार्च को ही पटना से अभियंता तथा वास्तुविद की टीम मुंगेर पहुंचने वाली थी। किंतु ऐन मौके पर कोराना का संक्रमण फैल जाने तथा लॉकडाउन हो जाने के कारण शायद विशेषज्ञों की टीम मुंगेर नहीं पहुंच पायी। मालूम हो कि बिहार मेडिकल सर्विस एंड इंफ्रास्टक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड पटना के अभियंता रवि रंजन कुमार, राघवेंद्र कुमार ओझा, विश्वनाथ कुमार तथा जिला परियोजना प्रबंधक मार्कंडे शाही ने डीपीएम मो. नसीम के साथ वर्ष 2018 में 1 जुलाई को सदर अस्पताल के विभिन्न विभागों का गहन निरीक्षण किया था।
मॉडल अस्पताल में एक ही छत के नीचे मिलती सारी सुविधाएं : 300 बेड वाले मॉडल अस्पताल के लिए पूर्व में टीम ने सिविल सर्जन कार्यालय भवन के ठीक बगल से कैदी वार्ड तक के भूमि का चयन किया था और उसकी मापी भी की थी। सिविल सर्जन कार्यालय भवन के सीध में कैदी वार्ड तक के सभी भवन को ध्वस्त कर खाली किये जगहों पर ही नये अस्पताल भवन का निर्माण कार्य किये जाने की योजना बनायी गयी थी। टीम ने बताया था कि 300 बेड वाला यह अस्पताल तीन मंजिल का होगा, जहां एक ही छत के नीचे अलग-अलग प्रकार के मरीजों के लिए आउटडोर तथा इनडोर की व्यवस्था रहेगी। इसके अलावे ऑपरेशन थियेटर, पैथोलॉजी, ड्रेसिंग रूम सहित अन्य विभाग की भी व्यवस्था रहेगी। भवन की बनावट इस प्रकार रहेगी कि भविष्य में इसके मंजिल को और उपर बढ़ाया जा सकेगा तथा इस भवन को लिफ्ट की सुविधा से भी लैश किया जा सकेगा।
आपदा के दौरान चिकित्सा सेवा में मिलती काफी सुविधा : जिले में 300 बेडों का मॉडल अस्पताल बन जाने के बाद न सिर्फ आम जनों को चिकित्सकीय सेवा में विशेष सुविधा मिलती, बल्कि कोरोना संक्रमण काल जैसी आपदाओं के दौरान भी स्वास्थ्य विभाग को अधिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। मालूम हो कि वर्तमान समय में सदर अस्पताल में व्यवस्थित जगह नहीं रहने के कारण ही स्वास्थ्य महकमा द्वारा जीएनएम स्कूल तथा गायंका धर्मशाला में अस्थाई रूप से आइसोलेशन व क्वारंटाइन की व्यवस्था करनी पड़ी है।
बोले सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ पुरुषोत्तम कुमार ने कहा कि कोरोना के इस संक्रमण काल में मॉडल अस्पताल की व्यवस्था रहने से निश्चित रूप से काफी राहत मिलती। अब जब तक कोरोना के संक्रमण पर पूर्णत: सफलता प्राप्त नहीं कर ली जाती है, तब तक मॉडल अस्पताल के बारे में सोचा ही नहीं जा सकता।
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